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जयन्त इति विश्रुतः VII. 28.7b जयन्तस्तस्य सारथिम् VII. 28.11b जयन्तस्याथ देवता: VII. 28.21b जयन्ताशोकनन्दन II. 68.5b जयमनवेक्ष्य रणे स राघवस्य VI. I07.67b जयमाकाङ्क्षता रणे V. 46.46d जयमाकाङ्क्षतो वीर VII. 22. Ifc जयश्च विपुल: प्रात: VI.7.15a जयस्व राजधर्मेण VII. I03.a
,, शत्रन्नर देव मेदिनीम् VI. 22.85a अयाकाङ्क्षी क्षिपशरान् VII. 24.33d जया च सुप्रभा चैव I. 21.15a जयाय जयभद्राय VI. I05.17a
, प्रतिगृह्णीष्य III. 12.36c ,, विजयं प्रति VI. 95.38d जयामिह दक्षिणः III. 34.23f जयार्थी नित्यमादित्यम् VI. 27.44a जयार्थ समुपागमन VI. I05.30b जयाहस्य महात्मनः VI. 128.25b जया लब्धवरा वरान् I. 21.16b जयावहं जपं नित्यम् VI. I05.40 जयाशा त्वयि मे स्थिता VI. 97.4d जयाशिषा तु राजानम् VI. 36.15a
. मन्त्रिगणेन पूजितः VI. 36.22c 'जयाशीभिररिंदम: VI. II.I3d 'जयेच्छनतन्द्रितः VI. 8.12d नयेति प्रतिनन्यैनम् VI. 25.26c
,, वाचा संपूज्य VII. I3.15c जयेन जयतां श्रेष्ठम् II. 20.10c
,, वर्धयित्वा च VII. 23.3a जयेनामित्रकर्शन VII. I.28f जये प्रणिहितावुभौ VI. 97.30d जयेप्सया देवलोकम् VII. 6.62a जयेयुः कपिसत्तम V. 37.53d जयो जनकनन्दिनि V. 39.17d
जयो वा रणमूर्धनि VI. 21.17b जरया च हृतं तेजः IV. 58.14c जरया पक्षियूथपम् III. 5I.Ib
,, पुरुपो जीर्ण: II. 105.23c जराझझरितैः पत्रैः III. 16.26a जर पाण्डर मूर्ध जाम् II II7.18b जरामृत्युवसंगताः II. I05.18d जरां पर मिका पुत्र VII. 59.2c ,, , पाप्य VII. SO.It जायाधिशतयुनम् VII. 20.yd जरा संकामयच नाम् VII. 59.8d
क्रियाथ तातस्य II. I03.20c जालकिन्नेन पाणिना VI. 6.33)
, हस्तेन VI. 50. 142 जलं कुम्भरूपाहरन् VI. I28.530 जलक्षये पद्ममिवातपेन V. 30.28d जलगर्भा महामेघा: IV. 30.25a जलं गृध्राय राघवो III. 63.30b जलजानि च पुष्पाणि II. 59.8a जलजेनात्मजो यथा II. 61.22d जलदा इव चानेदुः VI. 60.35c जलदानुद्वहन्मुहुः VI. 22. Tod जलदाश्च यदेच्छति V. 23.17d जलदे चन्द्रमा इव II. 31.35d जलपूर्णमथानयन् VI. 129.52d जलप्रपातास्त्रमुखाः III. 52.37a जलप्रपातेरुद्भेदैः II. 94.13a जलप्रपातं रिपुनिग्रहे धृतः IV. 27.47d
" , , ,, 28.66d जलफेननिभेन च II. 26.10b जलफेनामलांशुकाम् VII. 31.23b जलभाजनमुत्तमम् II. II8.50d जलमध्य प्रतिश्रयः VII. I0 4d जलमध्ये प्रदर्शनम् V. 55.27d जलमेवाददे भोज्यम् II. 50 48c
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