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जगामाकाशमाविश्य I. 34.4c
V. I.9re ,, I.I25c ,, I.162c VI. 41.730
,, 50.6oc जगामात्मगतिं प्रभुः I. 76.25d जगामात्मसमाधिना III. 74.35d जगामादाय चाकाशम् III. 52.13c
, तो वीरौ IV. 4.33c जगामानिलवेगेन I. 54 6c जगामानुपुरोहितम् II. 90.3d जगामाभिमुखस्तूर्णम् II. 34.15c जगामाभिमुखी सा तु VI. 65.35c जगामाभिमुखो वनम् III. 3.25d जगामाशु ततः पुरीभ् I. 77.6b ,, पुरी तदा VII. 72.21d , महायशाः I. 61.24d " , 72.2od
, विलोकगन् II. 15 2gb जगामाशु स राक्षसः VI. 126.27b जगामाश्रममात्मवान् III. 57.11b जगामास्तं दनकरः II. 48.33c जगामोत्तर पर्वतम् I. 4.Id जगामोदनविक्रमः III 44.2d जगुः कलं च गन्धर्वा: I. 18.:7a जगुश्च ते यथाशास्त्रम् II. 76.18c जगुश्च देवगन्धर्वाः V. I.83c जगुः श्लोक मिमं पुन: I. 2.39b जगृहुः कु. जर प्रगा: IV. 31.18e ,, , VI. 41.29c जगृहुः पादपांश्चापि ,, 58.ga जगृहुर्न र योषितः I. 77.12b जगृहुवरुणात्म जाम् I. 45.37b जगृहुर्हरिपुङ्गयाः IV. 37.31d
जगृहुहृष्टमानसा: VI. 82.5d जगृहुश्च बबन्धुश्च VI. 20.3 c जगृहुश्च महात्मानः VI. 60.38a जगृहुस्तत्र योषितः V. 18.IIb जगृहुस्तं ततो घोरा: VI. 41.84c जगृहुस्तामनिन्दिताम् I. 45.37d जगृहुस्ते द्रुमस्तित्र VI. 52.7c जगृहुस्त्वभिमन्त्रिताः VI. 57.22d जगृहे परितः स्थितः , 128.29b जग्मतुः पश्चिमां दिशम् III. 69.Id
,, पितरं द्रष्टुम् II. 33.Ic जग्मतुर्देवसंमती VII. 56.2d
" , 57.2d जग्मतुर्मिथिलां ततः I. 48.gd जग्मतुर्येन तां गाम् II. 52.1IC जग्मतुर्लघुविक्रमौ I. 24.12b जग्मतुः शुभकुण्डली VI. 128.21d
, सह सीतया III. II.2d ___ , , , 1324d जग्मतुस्तं गिरि प्रति II. 55.1d जामतुस्तौ श्रमं वीरों VI. 97.28a
, सुरोत्तमौ I. 75.10b जग्मतुस्त्रिदिवं राम I. 47.10a जग्मुः परमसंभ्रान्ताः VI. 60 22c ,, परां प्रीतिमतुल्यरूपाम् V. 54.46d ,, पशुपति रुद्रम् I. 45.2IC ,, पार महोदधेः VI. 22 75b ,, प्रहर्ष ते सर्वे V. 6I.Ic ,, प्रीति निशा चरा: V. 53.:ob जग्मुरन्यद्वनं ततः II. I03.4Id जग्मुराशंस वो जनाः II. 16.36b जग्मुराश्वस्य तां तदा II. I04. I6b जग्मुरेव यथागतम् VI. 128 8ed जग्मुर्गिरितटात्तस्मात् IV. 2.7c जम्मुर्दिशं तो वरुणाभिगुप्तम् IV. 42.57d
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