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________________ कथं दासस्य मे दासी III. 18.ga दुःखेन हृदयम् II. 104.14c दुखं सहिष्यतः II. 61. 3d दृष्टया देवी V. 58.30 "" "" ,, दृष्ट्वा न कुप्यसि VI. 111.63b देवगणश्रेष्टम् VI. 117.6c " " 3" " द्रक्ष्याम्यपावृत्ताम् II. 12.64a द्रक्ष्येत मद्गुकम् III. 56.20d " " दुह्यसि पुत्रस्य VI. 87.11c धारयति प्राणान् IV. 1. 105 न पतिता तत्र V. 58.72b न पृथिवी तस्य II. 44.13c "" नरवरश्रेष्ठ II. 61.3a " " ار " " ور " 39 " 93 " " رو " देवि न बुध्यसे II. 7.23d देशमिहागता IV. 3. 11d श्याम तां पुरी II. 47. 11d निगच्छेदिति निग्रहार्थम् V. 48.35d " नु खरवादिनम् II. 20.44b खलु कर्तव्यम् V. 13.160 " नरेन्द्रात्मजयोर्न शक्तः VI. 15.70 न सज्जेत सुखेषु राजा IV. 33.57d स्यात्पराजयः VII. 85.12d नागसहस्रस्य I. 25.2c " 37 नाम दशग्रीव VI. 92.5ga प्रवेदयामि III. 62.11a समुद्रस्य VI. 1.17a नामोपधास्यामि V. 21.16c " 23 93 " ار او "" " " 33 " 23 " 33 " "" " 2. V. 30.11c "" दुष्पारम् II. 39.25a V. 55. Sa V. 68.8a वाक्यं मे V. 30-40a 22 ," खल्वद्य भवेत्सुखागतम् V. 41. Sa 33 चीरं बध्नन्ति II. 37. 12a او در در मे पुत्रः VII. 24.13c Jain Education International १७२ 1 कथं नु जीवता शक्य: V. 55.14a तस्य वैदेहीम् III. 37.14a " 93 "" 29 37 "7 22 " " " न भवेया V. 2.3gd " 31 वृधा भवेत् V. 30.39d 22 पुत्राः पितरम् II. 97. 16a मयि धर्मेण II. 2.25a " मे दृष्टिपथेऽद्य सा भवेत् V. 13.67 d रामाद्भविता भयं नः VI. 14.8c रामेाभिरामवादिनि II. 12. 1080 शक्यो युधि नष्टदेह: VI. 73.650 शस्त्रेण वधः II. 63.28a " "" 31 33 "" " 35 39 साम्बा कैकेयी III. 16.350 सुकृतं भवेत् II. 64.2d कथमत्र हि पश्यामि VII. 48.22a कथमन्यत्समाचरे II. 101.22d कथमप्यमरप्रख्यम् I. 20.240 कथमप्रियमेवाहम् II. 52.46c कथमम्बां सुमित्रां च VI. 49.8c कथमस्मद्विधस्येह V. 53.34c कथमस्मद्विषे शस्त्रम् II. 63.26a कथमस्मिश्च विश्वसेत् VI. 17.25d कथमात्मसुतान्हित्वा I. 62.14a कथमार्यस्य सेवते II. 99.35d कथनार्थी प्रवक्ष्यति V. 55.26d कथमाशंससे योद्धुम् VI. 64.18c कथमाश्वासयिष्यामि VI. 49.9c कथमासाद्य दुर्मते VII. 68.7d कथमासीज्जनस्थाने IV. 56.20a कथमासीत्तु लङ्कायाम् VII. 4.1c कथमासीत्समागमः V. 35.2d VI. 126.3b कथमिङ्गुदिपिण्याकम् II. 104.120 कथमिन्दीवरश्यामम् II. 13. Ica कथमिन्दीवरश्यामः III. 45.25c II. 88.1ga 39 در For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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