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________________ गुरूश्रूषया वीरः II. 12.29c गुरुसत्कार कारिणम् II. 111.30b गुरूंस्तान्सपुरोहितान् I. 8.4d गुरोः कृत्यादिहागतः VII. 65.4b गुरोरप्यवलिप्तस्य II. 21.13a गुरोराराधने युक्त: V. 35.74a गुरोर्गुणगृहीताश्च I. 7.17a गुरोश्च वचने स्थिते VI. 83.41b गुरोः सत्यप्रतिश्रवः II. 109.17d " समनुपालयन् II. 26.28b गुरौ नृपस्याप्रतिमप्रभाव II. 37.37b गुर्वी धर्मधुरं वहन् II. 2.gd गृह्णां शिलाः VI. 57.41d गुल्फावूरू सौ चितौ VI. 48.1ob गुल्मानि मरिचस्य च III. 35.23b गुल्मे भवतु मध्यमे VI. 37.32d " gui fafara VI. 96.6c गुल्मै रक्ष्या पुरी खियम् VI. 72.11b बहुभिरावृताम् VI. 57.3b गुल्मैर्वृक्षैश्च बहुभिः III. 69. 3d गुहः क्षिप्रमुपाहरत् II. 52.68d गुहं गहनगोचरम् VI. 125.4b 23 च सुहृदं चैव VI. 121.200 गुहः पश्यतु मामिति II. 84.14d गुहमामन्त्र्य सूतं च II. 52.40 गृहमासाद्य धर्मात्मा I. 1. 29c 99 वीर्यवान् VI. 125.22b गुह मिक्ष्वाकुनन्दनः II. 52.73b हमेव ब्रुवाणं तु II. 50.40c गुहं वचनमक्लीबः II. 52.65c वचनमब्रवीत् II. 85.8d " 87.12d "" " ,, वचनमुत्तमम् II. 85.3b गुहः शिखिगतो यथा VI. 69. 3od गुह सत्यं ब्रवीमि ते II. 85. Iod " Jain Education International ૨૦૨ गुहः सतापसप्राप्तः 11. 51. IC गुहस्तत्रैव पुरुषवान् II. 50.47c गुहस्य तत्तु वचनम् II. 89.6a भरतं तदा II. 85.14b " " गुहा केसरिणामिव I. 6.21d गुहागहनवान्महान् IV. 48.5b 48.6d 22 "" वचनं श्रुत्वा II. 87.1a "" 50.4b " "" गुहागहन संवन्नाम् IV. 25.25c गुहागिरीणां च दिशच संततम् II. 103.49c गुहाद्वार विनीतवत् IV. 46.5b गुहां दुर्गा समाश्रयत् III. 24.15d गुहाद्वारे च सौमित्रे IV. 27.13a गुहाभ्यः शिखरेभ्यश्च VI. 4.22c गुहामस्म्यागतस्ततः IV. 46.24f गुहानात्यो गतो महान् II. 52.7b गुहामाशीविषरित्र V. 2.24b गुहामाश्रय शैलस्य III. 24.12c "" प्रविष्टः स्वतम् VII. 35.49c गुहाय प्रत्यवेदयत् II. 52.7d गुहायाः परतः पश्य IV. 27.160 गुहायां त्वां महाबाहो IV. 66.20c गुहाविष्टानि सत्त्वानि V. 1. 17 गुहाच गहनानि च IV. 48.2d " "" " "" ار 50.1d 22 59 25. परितस्तदा IV. 50.2b विचिताः सर्वाः IV. 47. 12a विविधा घोराः III. 65.14a 67.6a " " समीरण गन्धान् II. 94.14a गुहा साधु भविष्यति IV. 27.12b गुहासु संनादितर्हिणासु IV. 28.49c गुहास्तत्र विचेतव्या: IV. 42.26c गुन परितोषितः II. 85.15b For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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