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________________ 95 गायन्तश्चैव सैनिकाः II. 91.62b गायन्ति काम्याणि VII. 77.120 केचित्प्रहसन्ति केचित् V. 61. 16a गायन्तीः स्माङ्गना बह्वी: IV. 61.6c गायन्त्यो नृत्यमानाश्च 1. 32.13a मधुरस्वरम् I. 10. Irb वादयन्त्यश्व VII. 2. 11c "" गायमानौ कुशीलवौ I. 4. 17b गाथा मुनिपुत्रक I. 62.20b गारुडं वेगमास्थाय VII. 32.41C गार्ग्यमङ्गिरसः पुत्रम् VII. 100.2a गायों गालव एव च VII. 1.2b गाम्ये संपूजयामास VII. 10.05 गार्हस्थ्यं श्रेष्ठमुत्तमम् II 106.22b गावः कन्याः सहद्विजा: VII. 129.38b शतसहस्रशः IV. 5.4d 23 गावो यद्वा समुद्यतम् I. 14.49b यान्ति हतप्रभा: IV. 14.20d वत्सहता यथा VI. 110.2d "" " " वत्सान पाययन् II. 41.gd " वर्षहता इव VI. 104.16d गावापि बहुशस्तदा II. 77.2d गिरं मुनिसमीरिताम् IV. 11.59b गिरयश्चन्द्ररश्मिभि: IV. 30.27d गिरयः सागरे यथा III. 33.6d गिरयो राममागतम् II. 48.13d गिरा गम्भीरया रामः VI. 59.1260 गिराविव महाशनि: VII. 27.49d गिरिकुञ्जरमेघाभा: IV. 31.23c गिरिं कुबेरस्य गतोऽथवालयम् V. 21.34a गिरिकूट इवाशनि: VII. 8. 13d गिरिकूटनिभो महान् IV. 11.66d गिरिकूटोपमो महान् VI. 66.1b aft: VI. 41.94b "" " गिरिग हर संलीन: V. 57.27a Jain Education International २७५ गिरिगह्वरसंलीनम् IV. 23.18a गिरिजालावृतां दुर्गाम् IV. 42.10 गिरिजालावृतान्देशान् IV. 50.7a IV. 50.14C "" " गिरिदुर्गं विचिन्त्रताम् IV. 53.2b गिरिदुर्गाणि कन्दरान् III. 72.24d संगताः IV. 49.14d गिरिदुर्गाण्यलोकयत् II. 36.25b गिरिदुर्गाद्विनिष्क्रम्य III. 30.38a गिरिनिर्झरसंभूता II. 28.7a गिरिनिर्दरिवासिनाम् II. 28.7b गिरिं तमवलोकयन् V. 1. 128b गिरिः पुष्पितको नाम IV. 41.28 गिरिं पादसहस्रेण VII. 32.15 गिरिप्रदरमासाद्य III. 72.1c गिरिप्रस्थास्तु सौमित्रे IV. 1. 75a गिरिप्रस्थेषु रम्येषु IV. 1.19a VI. 477C " गिरिप्रवणानि च III. 8.15b III. 60.37d IV. 49 13d " ܕܙ 19 د. " गिरि: प्रस्रवणैरिव VI. 67. Sgd प्रवणं यथा VI. 67.121f 23 गिरिभिर्ये च गम्यन्ते IV. 40.29c गिरिमात्रशरीरस्य VI. 12.37a 63.430 ७ 13 गिरिमारुह्य सर्वतः VI. 38.9d "" For Private & Personal Use Only गिरिमिव वज्रहतं यथा विकीर्णम् VI. 79.41d गिरिमुद्धर्तुमर्हसि I. 45.2gb गिरिमूनि स्थितां लङ्काम् V. 2.1ga गिरिमेघनिकाशानाम् VI. 24.32c गिरिं प्रस्रवणाकुलम् III. 64.2gb गिरिराजसमावृताम् IV. 45.4d गिरिराजसमो गिरि: II. 98. rab गिरिराजस्य धीमतः IV. II. 18b www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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