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सा तस्य वचनं श्रुत्वा V. 33.14a । सा त्वमग्निं प्रविश वा II. 74.33a ,, ,, शुशुभे शाला V. 9.40a
,, त्वमभ्युदये प्राप्ते II. 8.17a ,, ,, शोकेन जगाम रात्रौ II. 75.65d , त्वमस्माद्विलादस्मान् IV. 52,23a ,, तस्योपरि चोल्कामा VII. 27.49a ,, त्वया धर्षिता शक VII. 30.30a ,, तस्योरसि विस्तीर्ण VII. 8.13a
,, ,, समतिकान्ता I. 44.12a , तं जलाशयं सर्वम् VII. 88.Ira ,, त्वया सह भहिम् II. 29.IOC ,, ,, प्रसादयामास VII. 30.39c ,, स्वशोकस्य विपुलाम् V. 25.6a
,, प्राप्य पतिं प्रियम् VII. 5.3d ,, त्वं त्यक्ता नृपतिना VII. 47.13c
,, रत्नमयं मृगम् III. 42.32d ,, धर्मपरा नित्यम् II. 62.ga , ,, समीक्ष्यैव भृशं विपन्ना V. 32.8a ,,,, परवशं गता II. 12.18d ,, , संप्रेक्ष्यं सुश्रोणी III. 43.la
,,, भव मुविस्रब्धा VI. 48.28a ,,, हरिवरं दृष्ट्वा V. 3.21a
,, मुनिवरं श्रेष्ठम् VII. 9.12a , तानि शरजालानि III. 5I.13a
,, वसेह कल्याणि II. 26.37a ,, तिर्यगूवं च तथा ह्यधस्तात् V. 31.18a , त्वां देवि नमस्यामि II. 52.87a ., तु कृत्वाञ्जलिं दीना VII. 2.20a ,,, सुप्तं हतं ज्ञात्वा VI. 32.27a , ,, चिन्तयते नित्यम् VI. 48.21a , त्वेवमुक्ता धर्मज्ञा II. 118.17a ,, तत्रैव संभ्रान्ता IV. 66.16a ,, , वैदेही II. IIS.I7a तद्वचनं श्रुत्वा VII. 9.14
साऽथ दृष्ट्वा हरिवरम् V. 32.6c ,, , ,, ,, 240
, ,, हरिश्रेष्टम् V. 32.3a ,, ताराधिपमुखी III. 52.1a सा ददर्श कर्णि तत्र V. 32.2a ,, तेन प्रहारेण V. 3.4rc
,, ततस्त्रस्तान् IV. 19.ba ,,, निर्भसिता परैः IV. 1.49d
,, ,, महाबलम् III. 32.22) ,,, नीलेन विधिवत् VI. 5.1a
,, , महीतले II. I04.8b , तु रावणवेगेन III. 52.27a.
,, विमानाग्रे III. 32.4a ,, ,, वेदश्रुतिं श्रुत्वा VII. 2.17a ,, ,, सखी सीताम् VI. 33.ja ,, ,, शुश्राव गौः स्वरम् VII. 53.12d सादर्शनं पुरा सीता VII. 98.5a ,, ,, शूर्पणखा नाम III. 17.6a
सा दह्यमाना क्रोधेन II. 7.13a ,, शोकपरीताङ्गी III. 56.34a सादितौ मामकेर्बाणैः VI. 46.12c ,, ,, सत्यवती पुण्या I. 34.IIa
, रामलक्ष्मणौ VI. 74.28d ,, संवत्सरं कालम् VI. 12.18c
सा दीना निश्चयं कृत्वा II. I0.3a ,, ,, सूतस्य वचनात् VII. 46.22c
,, दुःखभारावनता यशस्विनी VII. 48.26a , तेन शापेन जगाम भूमिम् VII. 56.29a , दुःखवशवर्तिनी II. 25.39b , तेनेक्ष्वाकुनाथेन I. 6.20a
,, दुःखैबहुभिर्मुक्ता V. 27.37c ,, तोलिता बलवता VI. I02.65a ,, दुःखैर्विविधैर्मुक्ता V. 58.90a , त्रियामा तदार्तस्य II. 13.150
सादृश्यात्तु विशाङ्केतः IV. 12.33b
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