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सागरस्योत्तरे तीरे VI. 24.27a सागरस्योपवेशनम् VI. 19.33d सागरस्योर्मिजालानाम् V. 1.67a सागरहदसंकाशात् II. 14.66c सागरं क्रमतस्तदा V. 13.rob सागरं च निरीक्ष्य सः V. 2.24d " चापि संप्राप्ता I. 43.39c , चाभिवर्तताम् VI. 41.96d ,, चाभ्यनादयत् VI. 42.39d ,, चाम्बर प्रख्यम् VI. 4.II5a
, , 107.5IC ,, चाम्बरं चेति VI. 4.II5c ,, तर सुग्रीव VI. 49.2.40 , तु समासाद्य VI. I.16c ,, दारुणं वच: VI. 22.1b ,, दृश्य सीदतः V. 35.6gd ,, पुनरागतः V. 57.46b , प्रेक्ष्य वानराः IV. 6.4.7b ,, भीमनिदिम् V. 1.68c ,, येन ते तीर्णाः VI. 66.1565 , रत्नसंचयम् IV. II.9b ,, वरुणालयम् IV. 53.Ib , वानरैस्तीर्खा VI. 12,26c ,, व्यतिवर्तितुम् V. 38.3b
शोषयिष्यामि IV.67.228
शोषयेद्वापि III. 56. IIC ,, समपूरयन् VI. 22.53d ,, सरितां पतिम् VI. 21.IId ,, सागरानूपान् V. 1.19.4 सागरः समयं कृत्वा II. 12.44 , समुपक्रम्य VI. 22.22k , सरितां पतिः VI. 4.98b , स्वयमुत्थितः VI. 22.17b सागराञ्शोपयिष्यामि IV. 67.I7c सागरण महायशाः I. 44.17d
सागरानपि निर्दहेन् II. 61.21d सागारनिलसेविताम् V. 3.3d सागरानृपजान्दुमान् V. 1.04b सागरानूपजे देशे V. 13.39a सागरान्तरचारिणाम् IV. 59.13b सागरान्तव्यपाश्रयम् VI. 21.od सागराभा प्रदश्यते II. 84.21) सागराम्बुसमाश्रय: IV. 41.2015 सागराय नियुज्यताम् VI. 1.40d सागरराविच संक्षुब्धौ VII. 32.51 सागराः क्षुभिताः सर्वे I. 65.I a ,, प्रथितां दिशम् I. 40.211) सागरेण नियोजित: V. I.gud
र परिक्षिप्तम् V. 27.IN ,, परिक्षिप्ता III. 17.20 , परिक्षिप्त V. 3).3IC
, विवधित: V. I.8715 सागरेणामुत्सहे IV. 67.12b सागरे पतिता दृष्टा V. 27.31c ,, पतिताः केचित् VI. 31 32 सागरेभ्यश्च काञ्चनाः II... सागरे मकरालये VI. 22.701) ,, मारूताविष्टा V. 1.65c ., लवणार्णवे VI. 1 2 3.Itd ,, विनिवेशितः IN. I. .oh
स महाबल: IV. 06.51, ,, सलिलाणचे VI. 25.0b ,, सेवधनम् VI. A2.b
25.22 ., सेतुबन्धं तम् VI. 25.. सागरोच्छोषणेन च VI. 3.21) सागरोद्गार संकाशान् VII. 32.1) सागरोद्गारसंनिभम् VII. 32.0 सागरोपमान?षाम् V. 3.3c सागरोऽप्यतियाटेलाम् V.59.3a
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