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________________ गर्जन्तश्च वः IV. gogib गर्जन्ति दृढविक्रमाः VI. 35 23d न पृथा शूरा: VI. 65.3a " मेघाः समुदीर्णनादा: IV. 28.20c गर्जन्ती साभ्यधावत I. 25.1b गर्जन्तो जयकाङ्क्षिण: VI. 73.30b नैर्ऋतर्षमा: VI. 69.rob राक्षसाम्बुदाः VII. 7.1b " गर्जन्तं सुमहाकायम् VI. 58.50 गर्जन्त्यन्ये महाबलाः V. 57.41d गर्जन्निव महामेघ: IV. 14.4a गर्जितं च तथा तासाम् V. 58.82c धि कर्मणा VI. 65 3d राघवस्तदा VI. 88. 12b गर्दभाद्भयमोहित: V. 27.23d गर्दभेन ययौ शीघ्रम् V. 27.220 गर्भ च सप्तधा राम I. 4. 18c ". " "1 33 " धार देवि I. 37. 120 दातुमर्हसि I. 46.3b गर्भ तुम्बं व्यजायत I. 38.17b गर्भभूतास्तपोधना: III. 1. 21d गर्भस्थ जन्तोरिव शल्यकृन्तः V. 28.6b गर्भोऽयं संनिवेश्यताम् I. 37.17b गर्भ शक्रोऽभ्यभाषत I. 46.20b गर्वयन्ती द्विषजने II. 9. sid गर्वितरणगर्वितम् IV. 17.15d गर्वेण च विशेषतः II. 31.2od गमाणं जगन्यः VI. 75.65c गईं से मामकल्मषम् II. 75.20b गर्हितं तु कृतं कर्म IV. 58.28a गर्हितव्या कदाचन III. 16.37d गर्हितस्याहितस्य च VI. 103.16b गलं जग्राह जीवतः VI. 73.21d " 33 VI. 80.81 गवयः पश्चिमात्तोयम् VI. 128.550 १३ " Jain Education International २७३ गवयश्च महाबल: VI. 4. 15b गवयस्य गवाक्षस्य IV. 33.9c गवयेन गवाक्षेण VI. 49.27a गवयो नाम तेजस्वी VI. 26.44c यूथपः IV. 39.23b "" 5 गवां कोट्ययुतं दत्त्वा I. 1. 95a गवाक्षं गन्धमादनम् VI. 127.43b गवयं तथा VI. 73.59b जाम्बवन्तं च VI. 98. 12a नाम यूधपम् VI. 27.33d गवाक्षश्चाग्रतो यातु VI. 4. 150 गवाक्षाः प्रियदर्शनाः III. 55.1ob गवाक्षितमिवाकाशम् VI. 99.2ga गवाक्षता इवाभान्ति III. 15.150 गवाक्षैः स्फाटिकैरिव IV. 1.37b गवाक्षो गन्धमादनः VI. 67.24b भीमदर्शनः VI. 42.28b भीमविक्रमः IV. 39.1gb योजनान्याह IV. 65.30 " 29 " 93 गवाक्षं शरभं चैत्र VI. 46.20a गवां दशशतेन च II. 32. 18b 33 " " رو " "2 गवामनीकं प्रतिगृह्य मं दितः II. 32.43b गवां शतसहस्रं च I. 72.22a " " " " "" 27 दृप्त दवर्षभः VI. 4. 15d पतिरिवाबभौ V. 1.2d पत्नीमिवोत्सुकाम् II. 114.gd पयांसि स्कन्नानि VI. 10.17a मध्ये यथा वृषः V. 11. Ind } " "" 93 शतसहस्राणि I. 14.50C 72.230 74.3c 33 " "" For Private & Personal Use Only II. 52.88a VI. 125.442 " 39 शतसहखेण 1. 53.9a 61.130 "" " www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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