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गामनाय मतिं चक्रे I. I0.28c
| गमिष्यसि गतिं मुख्याम् II. 9.51c ,, , दधुः I. I0.18d
, त्वं दशधा दिशो वा VI. 59.128c , रघूत्तमः VII. 82.5d
,, यमक्षयम् VI.71.54d गमनायान्य देशस्य II. II6.18c
, युधि स्थिरः VI. 41.65d गमनायाभिचक्राम I. 77.18a.
गमिष्यामः स्वमालयम् I. 72.19b गमनायाभितस्थतुः I. 23.4d
गमिष्यामि जनस्थानम् III. 31.21c गमनायाभिरोचय [.5.2d
ततः को मे V. I3.18c गमनायेतराय वा II. 4.7d
ततोऽरण्यम् II. 46.25c गमनायोपचक्रमे I. 27.28d
त्वया सह II. 2.IIb ___V. 39.6b
न संदेह : IV. 65.8c ,, 40.20b
,, संशयः IV. 65.13d VI. 60.03b
,, ,, VII. 73.6b ____VII. 25.5Id
पतिव्रता II. 66.12b ,, 46.II
महात्मनः II. 103.20d , 72.19d
यथागतम् I. 21.3b गमनायोपचकाम I. 36.250
, I. 48.22b गमने किं प्रयोजनम् V. 50.6b
, यथासुखम् VI. 50.56d ,, क्रियतां बुद्धिः VI. 60.89c
यमक्षयम् II. 60.3d ,, च कृतोत्साहम् V. 67.32c
, सुरालयम् V. I.39b ,, मे पराक्रमः IV. 65.14d
गमिष्यामीति मे मतिः IV. 67.27d ,, सुकृतां बुद्धिम् II. 24.32c
विंशतिम् IV. 65.3d गमन रोचयामास I. 35-30
गमिष्यामो महावनम् II. 52.14d , रोचयाम्यत: VII. 38.26b
, यमक्षयम् IV. 53.24d , वनवासस्य II. 29.14c
गमिष्याम्यक्षयांश्लोकान् III. 74.13c ,, वा परस्त्रीणाम् V. 20.5c
गमिष्याम्यहमेकाकी VI. 65.21c , स्वामिपार्श्वतः IV. 53.23b गमिष्याम्याश्रमं पुनः III. 58.9a गमिष्यति गमिष्यामि II. I06.32c
गमिष्ये त्रीन्महार्णवान् VII. 34.16d ,, न संशयः VII. 30.38b
, दण्डकारण्यम् II. 20.28a , प्रवृद्धोमिः VII. 29.12c
, यत्र राघवः VI. II3.46d , महायशाः I. II.4d
, ,, वैदेही V. I.158c , महारण्यम् II. 34.8a
,, राममादाय III. 38.IIC गमिष्यन्तमितो वनम् II. 21.46b
गमिध्ये रामशासनात् V. I.147b गमिष्यन्ति समागताः VI. I.I7d.
,, , V. 58.26d गमिष्यन्पूजितस्तया V. 4I.Ib
गम्भीरगुण वन्ति च VI. 75.18d गमिष्यसि क्षीणयल: सबान्धवः III. 38.33c गम्भीरमधुरस्तथा II. 6.8b
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