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________________ " » राजकुलमासाद्य II. 17.17a ,, राजञ्जीवयस्वैनम् VII 73.11c राजदृष्टिसंपन्नम् VI. 1. Ima राजन्पृच्छयतामिति VI. 17.59b " , राजपुत्रं शत्रुघ्नम् II. 81.13a ,, राजपुत्रः प्रियया विहीनः III. 63.1a ,, राजपुत्र्या प्रतिवेदितार्थ: V. 40.25a राजभवन प्रख्यात् II. 5. Isa राजमार्गमध्येन II. 57.16a "" "" .. " 34 ?? #2 " 23 स राघवः सत्यधृतिः प्रतापवान् II. 82.2ga राघवाणां कुलधर्ममात्मनः II. 110.37a "3 ور " " " " " رو " وو "" " " 3. " " राजमार्ग वपुषा प्रकाशयन् VI. 60.95a राजराजो भव सत्यसंगर: II. 11.29a राजवचनं श्रुत्वा II. 15.270 राजा क्रोधमूर्च्छितः VII. 55.18d areasca VII. 87.7a ". .. 22 " " "2 33 St " 32 " " , " ब्रह्मदत्तस्तु I. 33.1ga " " " तिष्ठते चिरम् III. 33.20d तेन वक्टोन VII. 80. 15a देशकालवित IV. 18.8d " द्विपदां वरः II. 82 16b पतितो भूमौ VII. 19.23a परमक्रुद्धः I. 54.1gc पुत्रमायान्तम् II. 34.16a पुत्रशोकार्तः I. 63.5a पुनरेवैतान् I. 58.7a पुरुषर्षभ: I. 61.9b पृथिवीं सर्वाम् VII. 87.4a पूज्यते जनै: III. 33.21d रजनीं षष्टीम् II. 63.4a रोषताम्राक्षः V. 50.4a विगतज्वरः I. 11.7b वीर्य संपन्न: VII. 55.5a शापविक्षतः VII. 54.4d सगरो नाम II II0.25a Jain Education International ૨૨૦૯ स राजा सत्यवाग्देव्याः V. 33.22a सह पत्न्या वै VII. 65.33c सुमहानासीत् I. 42.2a हन्ति दुर्मतिः III. 37.7d 23 " " "" हरिसत्तम IV. 38.21b " राज्ञः प्रतिगृद्यार्थ्यम् I. 18.44c .. राज्ञो गुरुरर्चितः II. 5.12b .. 23 "P 33 23 " "2 53 "P 19 "" " " " " . " " 35 "" " "3 " "" " 39 21 दर्शनाकाङ्क्षी I. 18.3gc VII. 55.150 राज्यमखिलं शासन् VI. 128.gra राज्यं तादृशं भुङ्क्ते VII. 84.8c महदनुते IV. 29. rrf 37 राज्ये स्थापितस्तेन IV. 57.14a राम गरुडो महान् V. 21.27b रामप्रेषितः क्षिप्रम् II. 34.2a रामबाणाभिहतो भृशार्तः VI. 59.137 रामबाणैरतिविद्धगात्रः VI. 102.702 रामभवनं प्राप्य II. 5.5a राममपि तावन्मे II. 52.40a राममासाद्य तदा II. 32.34a रामस्य वचः कुर्वन् II. 40.48a रामं दृश्य सहसा VII. 1.ria ار " 19 .. " रामः कृत्यसिद्धयर्थम् VI. 37.36b पर्णशालायाम् III. 17.3c पितरं कृत्वा II. I. 2ga स्वर्गतं श्रुत्वा II. 103.7a " रामाय नमस्कृत्वा V. 38. 36a रामां नयति क्षयम् VI. 7.24d रामेण हनो रणे VI. 9.14b रामोऽद्य प्रवरस्यति I1. 20.2d "" मन्त्रिमध्यस्थम् VII. 72.8a युवराजानम् II. 2. 21c लक्ष्मणं चैव III. 2. 8c सर्वकामैस्तम् II. 54.33 सूर्यसंकाशैः VI. 80.28a 19 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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