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________________ २६९ गन्तुमर्हसि मामित: II. 21.22d , लक्ष्मणः IV. 35.ICD ,, सुवत I. 18.57d गन्तुमिच्छसि यन्मां त्वम् VI. 88.46c गन्तुमिच्छाम्यहं वनम् II. 21.30d गन्तुमिच्छे सहायध्याम् VI. 123.25c गन्तुं प्रतिनिवर्तिदुम् IV. 65.21d ,, प्रायोपवेशनम् IV. 53.15d ,, बहुजनाकुलाः II. 33.4b ,, राघव ते क्षमम् II. II9.2td , वानरपुंगवा: IV. 40.68) , ,, IV. 42.51 ,, ,, IV. 43.58b ,, शत्रुविनाशन V. 37.48b ,, सर्वेश्च वानरः VI. I23.3id गन्धतेलावसिक्ताभिः V. 18.22c गन्धपुष्पैः समन्ततः I. 73.21b गन्धमभ्यवहान्युण्यम् IV. I.I7c गन्धमादनमेव च VII. 40.6d गन्धमादनसन्निभ: II. 54.29d गन्धमादाय पुष्कलम् VII. 26.IIb गन्धमाल्यमधूत्सेक VI. 75.57c गन्धमाल्ययुतानि च IV. 33.13b गन्ध माल्यानुलेपितम् I. 67.2d गन्माल्यर्मया तव VI. 32.17b गन्धं माल्य महद्भक्ष्यम् VI. 60.23c गन्धर्वगडोर गाः VI. 90.63b गन्धर्वदेशे रुचिरे VII. IOI.IIC गन्धर्वनगर प्रख्या III. 45.I/a गन्धर्वनगरं प्राप्तौ VII. IOI.3c , शुभम् VII. I00.12d गन्धर्वनगराकारम् VI. I06. IC गन्धर्वनगरोपमाम् V. 2.49a गन्धर्वत्र मांसानि VII. I00.23c गन्धर्व पुरसंनिभम् III. 43.7d ! गन्धर्वभवनानि च III. 67.6d गन्धर्वभवनोत्तमैः VI. 77.8b गन्धर्वयक्षप्रवरा: I. 21.I2c , I. 43.32a ,, I. 67.9c गन्धर्वयक्षरक्ष:सु I. 55.17c गन्धर्वयक्षरुपगीयमानः VII. 6.68b गन्धर्वराज प्रतिमम् II. 3.27c ,, II. 37.IIC गन्धर्वर!ज प्रतिमी III. 19.16a गन्धर्वराजस्य सुताम् VII. I2.24c गन्धर्ववधमुत्तमम् VII. I0:.18b गन्धर्वविद्याधरनागयक्षा: V. 51.43b गन्धर्वविद्याधरपन्न गाश्च V. 54.46b , , VI. 6I.I0c गन्धर्वस्य महात्मन: IV. 22.27d गन्धर्वा इव नन्दने VII. 12.28b गन्धर्वाः किंनराः सिद्धाः IV. 43.45a गन्धर्वाणां च योषितः V. 9.68b ,, तपस्विनाम् IV. 42.20d गन्धर्वाणामिवा वासाम् VI. I0.6a गन्धर्वाणामृर्ष णां च VI. 1I0.13a raafoti garf791 VII. 108.19b गन्धर्वान्केकयाधिप: VII. I0I,2d गन्धर्वाप्सर संकुले VII. II0.7b गन्धर्वाप्सरसश्च याः VII. IIO.14b गन्धर्वाप्सर सश्चैव I. 56.10a ,, III. 35.20c गन्धर्वाप्सरसस्तथा I. 15.23d गन्धर्वाप्सरसां गणः IV. 29.5b चैव I. 49.1gc , तथा VI. 41.62b ,, VII. 69.13d गन्धर्वाप्सरसामपि VI. 90.75d गन्धर्वाप्सरसा सख्याः VI. 107.51a Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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