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________________ अब्रवीत्प्राञ्जलिक्यिम् VI. I2I.IC , VII. 97.13c अब्रवीत्स महात्मानः I. 57.17a. अब्रवीत्संग्रहृष्टेव VII. 25.47a अब्रवीत्स विमानस्थः VI. 122.13a अब्रवीत्सान्त्वयित्वा ताम् VII. 24.32a अब्रवीत्सारथिं वाक्यम् II. II5.7c अब्रवीसिद्धमित्येव III. 46.34c अब्रवीत्सुखमासीनम् VII. 21.3c अब्रवीत्सुमहद्वाक्यम् I. 60.26c अब्रवीत्सुमहातेजा: I. 63.2a अब्रवीत्सुरमा देवी V. I.159c __, ,, 58.32c अब्रवीदङ्गदस्तदा IV. 65.18b अब्रवीदुत्तर तारा IV. 21.12c अब्रवीदृषिसत्तमः II. II7.8d अब्रवीद्गगने तिष्ठन् VII. 30.2c अब्रवीद्गन्धमादनः IV. 65.6b अब्रवीद्दीर्घमुच्छुस्य V. 34.13c अब्रवीःखसंतप्तः II. II5.15c अब्रवीद्दष्कृतं सौम्य III. 59.21c अब्रवीद्दषणं नाम III. 22.7c अब्रवीविजसत्तमः I. 13.5b अब्रवीद्धर्मसंयुक्तम् II. III.IC अब्रवीन्द्राह्मणं वाक्यम् II. 32.30c अब्रवीद्भरतः श्रीमान् II. 85.3c अब्रवीद्भरतस्त्वेनम् II. 91.2a अब्रवीद्भातरं रामः II. 46.18c ,, ,, III. 5.2a , , ,, 20.3c अब्रवीभृकुटिं कृत्वा VII. 35.33c अब्रवीद्रक्षसां मध्ये VI. 51.18.c , 92.25c अब्रवीद्रघुनन्दनः I.77.16b ___VII. I08.8d अब्रवीद्राक्षसं क्रूरम् VI. 53.2c अब्रवीद्राक्षसश्रेष्ठम् VI. 65.Ic अब्रवीद्राक्षसाधिप: VI. 31.7b अब्रवीद्राक्षसान्सर्वान् III. 23.1ga VI 6.ie अब्रवीद्राक्षसेन्द्रस्तु VII. I9.2c अब्रवीद्रामसांनिध्ये IV. 40. T6e अब्रवीद्रावर्ण सूतः VI. I04.10c अब्रवीद्वचनं कपि: V. 13.2d अब्रवीद्वचनं गृध्रः IV. 56.18c अब्रवीद्वचनं भूयः II. 76.10c अब्रवीद्वचनं राजन् IV. II. I0c अब्रवीद्वचनं वीरः III. 12.22c अब्रवीद्वाक्यकोविदः II. 83.22d III. 31.390 ,, , 35.42d अब्रवीद्वानरश्रेष्ठः VI. 22.43c अब्रवीद्वानरान्घोरान् IV. 50.14a अब्रवीद्वानरारामः VI. I22.2Ic अब्रवीद्विधिवत्कृत्वा VII. I7.8a अब्रवीन्न परित्रास: VII. 27.140 अब्रवीन्नरशार्दूल I. 6I.IC अब्रवीन्नातिवर्तेत V. 58.29a अब्रवीनातिवर्तेन्माम् V. I.149c अब्रवीन्नारदं तत्र VII. 20.18a अब्रवीन्नास्मि शक्रस्य V. 50.13a अब्रवीन्मधुरं वाक्यम् I. 57.5a , ,,59.IC , , , 63.18a ,, , III. 7.16c अब्रवीन्मिथिलेश्वरः I. 73.32d अब्रवीन्मेघपृष्ठस्थः VII. 20.3c अब्रवीन्मेधसंकाशम् IV. 42.Ic अब्रवीन्मे महाराज II. 58.14a अब्रवीन्मैथिली सीताम् VI. 123.2c Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002794
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1961
Total Pages182
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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