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एवं वर्षसहस्रं हि I. 63.24c
वर्षसहस्रस्य 1. 64.200
वर्षसहस्राणि II. 27.200
VII. 3.128
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वाक्येऽभ्युदीरित VII. 24.21d
विक्रोशतां तेषाम् II. 45.32a
विमूढोऽपि ममास्त्रदग्ध: VI. 80.420
विचित्रा: पतगाः IV. 1. 26a
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विज्ञाप्यमानं तम् V. 63.13a
विदेहराजश्च VII. 57.200
विदेहाधिपतिः I. 68.13a
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विधं कथयताम् II. 6.253
विधं राघव कर्म कृत्वा IV. 24.15d
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विधमपीरितम् II. 12.9gb
विधमरिंदम VI. 41.4b
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78.6a
विधानं लङ्कायाम् VI. 36.21a
विधानि कर्माणि VII. 36.30a
विधाय स्वबलम् VI. 1.te
विधाश्व प्रवराः II. 118. 12a
विधो यस्य दूतः IV. 3.34a
विनिश्वयं कृत्वा VII. 95.16a
98.270 विपरिधावताम् III. 71.23d
विभीषणस्यापि VII. 1o.ga
विभीषणेनोक्तम् VI. 19.32a विलपतस्तस्य VI. 5.22a
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99.1ga 102.16a
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विलपती ताराम् IV. 25.48a
विलपमानं तम् II. 76.1oa
VI. 50.20a
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विलपमानस्य II. 75.64a
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एवं विलपमानस्य VI. 69. ra विलपमानां ताम् II. 75. Iga विलपितं तासाम् VII. 24.23c
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श्रुत्वा ततो हृ: IV. 37.37a
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,, श्रुत्वा स संवादम् II. 31. ra
श्रेष्ठैर्गुणैर्युक्तः II. 1. 31c
संगम्य तु तदा I. 48.22c
संचिन्त्य विप्रेन्द्रः VII. 21. Ja संचोदिताः सर्वे IV. 45.9a
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विलप्य बहुश: III. 21.21c विश्वासिता सीता V. 35.83a विसृज्य तान्सर्वान् I. 18.7a
वीर्यो महातेजाः I. 21.20
व्यादिश्य विप्रौ तु II. 3. 200
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शापं मयि न्यस्य II. 64.57a शुद्धसमाचारा VII. 45.9c
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संदिश्य काकुत्स्थः VII. 75.5a
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संदिश्यतां वाणीम् VII. 85.22a
संबोधितस्तेन IV. 1. 124a
संभाषमाणं II. 79.14a
संभाषमाणस्य II. 85. 14a
संभाषमाणी तौ III. 64.240
संमन्त्रयन्नेव VI. 38.6a
संमन्त्र्य बलिनः VII. 6. 45a
संमानिता VI. 122. 7a
स कालः सुमहान् VII. gg.roa कृत्वा दारान् VII. 12.22c
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स कृपणं तत्र II. 64.46c
सतुमुलः शब्दः VI. 44.4c
स सेनाभिहतः VII. 15.33a
स देवप्रवरः III. Ira
स न्यवसत्तत्र I. 10.33a समन्विश्व VI. 34.23a
समाधिना युक्तः II. 91,22a
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