SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 145
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उभावपि च शोकार्ती II. 64.37a उभावसंप्राप्य यथातुरस्तथा II. 12. 112d उभावस्त्रविदां मुख्यौ VI. 99.32c उभावेतौ मृगौ दिव्यौ III. 43.37c उभावेव च तत्रान्ये VII. 96.13 उभे देव्यौ च तं नृपम् II. 65.1gb उभे पुरवरे रम्ये VII. 11.14a उभे प्रमुदिते सैन्ये VI. 57.420 उभे सुरुचिरप्रख्ये VII. ror.13a उभे संध्ये शयानस्य II. 75.44a उभौ च यमजातकौ VII. 96.17b उभौ च सस्वजे हृष्टः VI. 50.41C उभौ तु तुमुलं घोरम् VI. 88.64c उभौ तौ नावसीदत: IV. 18.61d उभौ तौ रामलक्ष्मणौ III. 8.1gd उभौ दशरथात्मजौ VI. 50.3b उभौ देवाविवाश्विन IV. 12.1gd उभौ परमदुर्जेयौ VI. 88.34c उभौ भरत लक्ष्मणौ II. 103.32d VII. 83.2b ވ उभौ भरतशत्रुघ्नौ II. 1.4 39 67.7a उभौ मुनिवरौ राजा I. 72.14C उभौ युद्धे विचेरतुः VI. 99.32d उभौ युद्धविशारदौ VI. 99.32b उभौ योग्यावहं मन्ये IV. 3. 15C उभौ योजनमायती III. 59.31d उभौ राघवलक्ष्मणौ I. 36.1b " " " VI. 50.22b उभौ रामस्य सदृशौ VII. 94.13c उभौ रामं जनेश्वरम् VII. 89. 1d उभौ रामः कुशीलवौ VII. 107.17d उभौ लक्ष्मणशत्रुघ्नौ II. 92.24c उभौ लोक महाद्युते VII. 103.4b उभौ वा प्रतिलोमेन II. 100.620 Jain Education International . १३८ उभौ विक्रमशालिनौ VI. 88.34b उभौ सुग्रीवलक्ष्मणौ VI. 19.37b उभौ सौमित्रिभरता VII. 102.15 उभौ हि परमेष्वासौ VI. 99.32a उभौ हि येन व्रजतः VI. 99.33a उमादेवी च राघव I. 35.21d उमा नन्दीश्वरश्वापि VI. 60. IIC उमा नाम द्वितीयाभूत् I. 35.150 उमापतिर्द्विजान्सर्वान् VII. go.17a उमापतिः पशुपतिः I. 43.2c उमापतेश्च तत्कर्म VII. 87.17a उम लोकनमस्कृताम् I. 35.20d उमायास्तद्बहुमतम् I. 37.8c उमेशो गोपतिध्वज: VII. 87.12b उरगध्वजदुर्धर्षम् VI. 57.26c उरगाः पक्षिणश्चैव I. 14.300 उरसा पातयामास V. I. IoIC उरसा पादपान्हरन् V. 1.4b उरसा शैलवर्ष्मणा V. 1.67b उरस: क्षत्रियास्तथा III. 14.30b उरस्तस्य विदार्याशु VII. 69.34c उरस्तेऽभिनिविष्टं वै II. 9.41c उरस्येकेन बाणेन V. 44.14C उरोगतेन निष्केण VI. 77.5a उरोदेशेषु सर्वेषाम् III. 5.17a उरःस्थं कण्ठगं वाक्यम् IV. 3. 3IC उर्वशी त्वगमत्तत्र VII. 56.22a उर्वशी परमप्रीता VII. 56.19c उर्वशी परमाप्सराः VII. 56.13b उर्वशीमिदमब्रवीत् VII. 56.22d उर्वश्या एवमुक्तस्तु VII. 56.21a उर्वश्याः पूर्वमाहितम् VII. 57.6c उलूकाञ्जनयत्काञ्ची III. 14.18 उलूको वायसानिव VI. 17.19d उल्काभिरिव कुञ्जरम् VI. 13.1gd For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002794
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1961
Total Pages182
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy