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________________ आरब्धुमुपसंपेदे VI. 40.27c आरभस्व शुभश्रोणि II. 30.42a आरम्भस्तु मदर्थोऽयम् V. 37.59a आरम्भे कर्मणां फलम् II. 63.7b आरात्समुपसेवितम् V. 49.1od आराधनीयमनिशम् VII. I08.28a आराधय जगन्नाथम् VII. I08.27c आराधयति धर्मज्ञः II. 60.6c आराधयिष्याम्यत्राहम् III. II.88a आराधिता हि शीलेन II. 26.35a आराध्यं परमं गुरुम् VII. 6.2d आरामोद्यानसंपूर्णाम् II. 51.23a , 86.21a आरामैश्च विहारैश्च VII. 70.13a आरुजश्च महीरुहान् VI. 27.26d आरुश्चैव शैलाग्रान् VI. 22.11a आरुजन्पर्वताग्राणि IV. 67.9a आरुद्य संध्याभ्रगिरिप्रकाशः VI. 59.18b आरुरोह खरस्तदा III. 22.15d आरुरोह गिरिश्रेष्ठम् V. 56.26a आरुरोह ततः श्रीमान् VI. 26.5a आरुरोह तदा भीमम् VI. 95.33e आरुरोह तदा रामः VI. I02.I7c , ,, 122.IIC आरुरोह तया सह III. 55.9d आरुरोह दिवं क्षिप्रम् II. 64.50c आरुरोह नगश्रेष्ठम् IV. 67.39e आरुरोह नरव्याघ्रः II. I03.3IC आरुरोह नरान्तकः VI. 69.2gd आरुरोह नृपं द्रष्टुम् II. 3.32a आरुरोह पुन वम् VII. 48.23a आरुरोह महाकपिः V. 9.1gb आरुरोह महातेजाः VI. 90. I0c , , ,, 128.31c आरुरोह महाबाहुः VI. 4.92c आरुरोह महाबाहुः VI. 128.20c आरुरोह महारथम् VI. II.3d आरुरोह महोदरः VI. 69.20d आरुरोह मुदा युक्तः VI. I22.24c आरुरोह यदृच्छया II. 7.1d आरुरोह रथं दिव्यम् VI. 51.28c , VII. 28.29c आरुरोह रथश्रेष्ठम् VI. 69.22c " , , , 25c , , ,, 80.IIc आरुरोह रथोत्तमम् II. 16.28b , , VII. 46.22d आरुरोह रथं युक्तम् VI. 57.25a आरुरोह रथं श्रीमान् II. II5.8c आरुरोह रथं सज्जम् VI. 86.15c आरुरोह रथं हृष्टः II. II3.Ic आरुरोह वरारोहा II. 40.13c आरुरोह विमानं तम् VII. 76.19c आरुरोह स देवारिः VII. II.48c आरुरोह समायुक्ताम् VII. 47.IC आरुरोह सलक्ष्मणः IV. 38.12b आरुरोह हरिश्रेष्ठः V. 43.30 आरुरोहात्मवांस्ततः II. 52.76d आरुरोहाथ पुष्पकम् VII. 16.45d आरुरोहानिलसुतः V. 56.37c आरुह्य गिरिसंकाशाम् V. 43.4a आरुह्य घण्टानिनदप्रणादम् VI. 59.17b आरुह्य तस्मात्प्रासादात् II. 33.4c आरुह्यतामयं शीघ्रम् III. 42.7a आरुह्यतु रथं क्षिप्रम् II. II5.9a आरुह्य पर्वताग्रेभ्यः VI. 27.13a आरुह्य पुष्पकं दिव्यम् V. 27.18c आरुह्य पुष्पकं भूयः VII. 22.49c आरुह्य शक्ति निशितां प्रगृह्य VI. 69.66b | आरुह्य सह वैदेह्याः VI. I26.29c Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002794
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1961
Total Pages182
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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