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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org सिंघी जैन ग्रन्थमाला ] कलिनादीनांस लिमय ममाध्या सामादीनाहिताधिशशाघीद रागादिजमा राजिमा सिहा ताटागाडी र नागमाति कलाग या स विद्याविद्या (शाद्दामरहितमि हजा शिता सर्व मंजिल हमा सीर्वीकराडयेति यस्याःसादमा): दिगामाल: पाविसी त्रिमारात यमाह । सिम मियादवि साला विमलगायताक माहावा हिरखापयेप्रकरणाधी सोपस विमाणाकाविन वि डापकडी विइजाय जियालाणा उडान समिक बहामान मिल गरु पनवास हानिकादिविसाए समयमम रावना सारा दरकाण्डमा डाप्पापाडियार मंत्र मार माणेन नाम मारण विविध रूप वि मिलन पनि पारि बिलिरुद्र लिम्मविद्यिपेयेव येनानिय प्रकरणकार विश्वावतावा दावादवादवाततव स्मराजित मादरा सिमावावी. उपाध्यायादा।। रिता मितला पाहितीयगावावयवाची सावतः दयासावीणाविविधनदद्यान्नदान‍ शिवायमश्वश्र्वसनाद तार्थ: [ जैनपुस्तकप्रशस्तिसंग्रह कस्मविनय क्षणाल इमिटिकडू नवी सकि 362 क सवाहाना [11] वसविल वाराण॥॥१२ जली बहूऽऽ बा 92 Re तमर्दनमामि॥ संवईदानंकिता शि संदर्भानामतीम साहसातादादविद्यायां तिसामाज वरदा कहावतफल दि छतवता वासिधामा समाला दिसलयाऊटा टीम सिह डीयाध्यायसाकृतादविसंघक्षा मानि राथलिघिमाद।सबधवाच्यवावका कमर प कतिपय ताडपत्रीय सचित्र पुस्तकोंके प्रतिचित्र मादीन गिना का वि याविनवरि THEI कुमारिक रूबर ० 145
SR No.002781
Book TitleJain Pustak Prashasti Sangraha 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherSinghi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Publication Year1943
Total Pages218
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size14 MB
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