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________________ भावेण मेण एत्थ भोगा धो धम्म अत्यो कामो धम्म अत्थ कामो इमिणा धम्मो णाम सहाव धम्मो वि अत्थि लोए धवलबलायामाला धवलसुरहीण वंद्र धवलवाहणधवल धवलहरणिम्मलब्भा धवल हतुंगतोरण धवलहरसिहरकाणण धवलं विमलं सुह धवलायं बिरहिर धवलेक्ककुसुमसे सं धवल धवलविसाणो धाउव्वाओ अक्खाइया य धाउव्वाओ मंत धावर उप्पइओ इव धावर उप्पइओ विय घाव भ धाव धावह पुरिसा घावह धावह मुसिओ feat अहो अण घी धी अहो अकज्जं धी धी अहो अकज्जं धूयं मत्तूण मं धूलीकयं परिमल न नमस्ते भोगनिर्मुक्त नीयमानः सुपर्णेन १९-२८ २६४ -११ २७५ - २८ ११८-६ Jain Education International २९ - २६ २०५ - १३ २३२-४ १२१ -१७ २३८-१४ ६३ - २५ ५०-१० १०३ -४ ३१-२० १४१-४ धावंतस्य तुरियं १७-७ धावंति तत्थ घाविर ३७-२४ धावंति वलंति समुच्छलंति २६-३३ धिक्कट्ठे अण्णा ८०-१ ७३ - १० ३३ - २४ १८१ - ३३ २२-५ ५७ - २५ १५५ - २१ २७-४ २०९-३० २२६ - २९ २२६-२८ १३९-२९ ५५-२ १३६-३० २६६ - २४ १४७-२३ २१४ -१७ २३७-१ प उपो वि खेल ९४-२८ पउमासम्म पउमप्पभाए २८१-२ पउमासणं च वंदे २८३ - ३३ कु. मा. १५ पज्जसूई पक्कं देहि जहिच्छं पक्खिविऊणं देवा पच्चक्खणुमाणच उक्कयस्स पच्चक्खविलयदंसण पचक्खं जेण इमो पच्चक्खं धम्मफलं पचखेण ण घे पञ्चग्गधूयगंधा पच्छायावपरद्धा पज्जल पुणो जलो पज्ज लियजलणजाला पज्जलियझाणहुयवह पडणपडियस्स धम्मो पडणपडियस्स पत्थिव पडणम्मिमा विसूरह पडिको छा पडियस गिरिडाओ पडिवक्खगोत्तकित्तण विज्जइ सम्मत्तणं पडवज्जसु सम्मत्तं सिद्धा जाई पढ कीरि किं च भणिया पढमट्ठारस दिवसे चुक्को पढमवयणम्मि पढमा पढमं अभत्थणयं पढमं काले वि पढमं चिय आहारो पढमं चिय णयरी पढमं चिय दारिद्द पढमं चिय पियवसही पढमं णमह जिणाणं पढमं णमह जिणिंद पढने कसायभावे पढमेण होइ र पढम महीयल पण हि कयण य पण मह तिगुत्तिगुत्ते पण दिवस पण मह पावणे मह को बुद्धी २४८-६ २०९-२१ २०१३ १५ - २९ १४०-२६ २०१-४ ५५ - २८ |पणयतियसिंदसुंदरि १७६ - २ पन्हं काऊण तओ पत्तल बहलविसालो पत्तविणिगूहियं पहु ४२ - १७ १७९-७ ३९-१४ ९५ - २६ |पयइधवलाइँ पहिओ ५५ - ३० पयडं जिणवरमग्गं ५५ - २७ पयलं नि पढमं १९९ - २५ परउव्वाहो इत्तरपरिग्गहे २७२ - २१ ५५ - २६ ५२ - २५ ५६.६ २२९-२० २७३ - १२ १८१ - २२ २०-१३ २६८ - ३२ १३४ -८ २६९ - २६ २२८-११ २८० - १९ ६१ - २४ ८३-२० पणमामि सहनाई पणमामि गणहराणं पणमामि तित्थणाहं पणमामि धम्मचक्कं पणमामि विउव्वीणं पणमामि सुद्धले से २८३-९ १ - २ २४२-६ ४५-४ १४७ - २२ ३ - २२ २७९-२ २८३ - १६ २८३ - २० २८३ - १२ For Private & Personal Use Only परजुवईदंसणणा परततितग्गयमणो परतित्थियाणमेत्ती परदारगम परदारचोरियाइसु परदारमोहियमणो परभडभिउडी मंगो परमहम्म परोए पुदुक्खं परलोयतत्तीरय णवर परवसणं मानिंदह परहुयमहुर सद्दकलकूविय परिमुसइ करय हिं परिसह बलप डिमले परिहरइ पावठाणं परिहरियवे रहियया परिहास मूल सरं परिहासेण वि एवं पल उव्वेल्लिरहल्लिर पल्हत्थेइ य पुहई पवणपहयभीसणुव्वेल्ल पवणपहल्लिरपुंडुच्छु पत्त पवणवसचलिय पवणुट्टुयधुयधयवड पवणुद्धुयरयसंताव *113 २८३ - ३० २७८-७ २६९ - २३ २८३ - ३२ २८३ - १८ २७९-४ २८० -१८ १७५-१७ १२३ -६ ३३- २२ ३८-३ १७६ -५ ८८-२ २८०-८ २२२ - २४ १५१ - १६ १२७-२४ २८०-२८ २२१ - १३ ४१-१६ ३७-५ २८३ - १ २७२-२४ १८६ - २ ८-२२ ४३ - ३४ ५२ - १३ २४९ - ११ २७९-६ १४३-३१ १३७-२२ २६६-३३ ५७ - २३ १४७-१७ ९३-२७ १८ - ११ ३१-६ ९४ - १८ ९२-२५ ९६-३० www.jainelibrary.org
SR No.002778
Book TitleKuvalayamala Part 2
Original Sutra AuthorUdyotansuri
AuthorA N Upadhye
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year1970
Total Pages368
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
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