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________________ *94 उट्ठे वच्चतुरसु उ पिसुणाण इहं उणमसु पायपडिया उप उणयासावंसो उन्हो उब्वणओ दीहर उत्तत्तव णयमइया उत्तत्तणयवण्णो उत्तारतारयाए विलुलिय उत्तुंग उत्तुंग घोणे उत्तुंगथोर चक्कलगुरु उत्तुंगधवतरण पर उदति होंति मणुए उदयक्खक्ख ओव उदयगिरिमत्थयत्थो उदुकालरुहिरबिंदू उद्धाइ धाइ पसरइ उद्धाइया सरहसं उद्धवी हल्लिर उप्पहपलोट्टसलिला उद्धाहुणोद्धा उब्भडजडाकडप्पा उब्भड जलयाडंबर उभिण्णचू मंजरि उभण वि अइयारा उय माहवीय कुसुमे उय मित्तस्स विओए उरगभुंयगमकुक्कुड उरमुहभाला पिहुला उवझायणमोक्का उवझायण मोक्का वझायणमोक्का उवझायाणं च णमो उवमाणं दूरे चिय उवरंधाणं उवरिं उवसम संवेगो चिय उवसंतमुरय सद्दा उवसंतसंतसं उव्वणण्हाण Jain Education International १९८ - २७ २८१ - २० १८० - ६ १ - ११ ९३-७ १२३-२८ ४५ - १६ ४९ - ३२ १६-१ १२९ - २४ १५२ - २८ ११५ - २४ १२५-१ ८२-४ २४२ - १६ २४२ - १ २५३ - २२ २२८ - १८ १३५ - १६ २६६ - २ ११५ - १७ १११ - ६ १३० - ७ १२२ - ११ ६ - १७ १ - ९ २७३ - १७ ३३ - २१ ८२ - १९ ३९ - १८ १३१-७ २७८ - ३२ २७८-३१ २७८-३० २७८ - २४ २०१-५ २४-८ २१८-१० १५६ - ९ २१५ - ४ २२८-२० कुवलयमाला उव्वसियगामठाणं उबूढा विंझेणं उव्वेल्लिज्ज बहुसो भाई स उस्तो उम्मग्गो उत्तो उम्मगो ऊ ऊरुजुयलं पि सुंदरि ऊससइ ससइ वेव ऊससणीस सरहिये ऊसासइंदियाई ए ए- ऊ ग-ज-ड-द-ब-ल-सा अहिं जिया एए उण उववण्णा एए करेंति एवं एए करेंति क एए कुमार मूढा एए जिस पुणो एए जयम्मि सारा एएण इमं भणियं एएण कारणं एएण चिंतिओ एएण निंदिओ हं तुझ एएण तुज्झ हरियं एए रिंद भणिया एएओए एएणं चेय अहं एए णिउणा अह मंतिणो एते चि पुरिसा एते चि लिहिया एते तेहिं पुण एए ते मे लिहिया एते मे लिहिया परिवेयंता पुण भिजंति पु मुणिणो कहिया एए वि एत्थ जुत्ता ११७-१७ १२१ - २७ २०९-२४ २७७-११ २७० - ३ २७३ - १५ १८२ - १२ १८७ - १४ २२१-७ २१९ - २९ २६८-२८ २२३-३१ १९०-१ १८५-३३ ३६-२ १८७ - १३ २-१६ २७९-१२ १९१-१७ २३०-३ २५७-२९ २५८-१ २४८-२६ १७२-३६ ४०-२८ १४४ -११ १०५ -६ २१८-२८ १९१-३१ १८६-२७ १८९ - २२ १८९ - १९ १९१-६ १९०-९ १९१-११ १८९ - २३ २२२-८ १८६-७ For Private & Personal Use Only एए वि एत्थ वणिया एए वि कुमार ए एए विवि पुरिसा विवि पुरस एए वि ताण थोरा एए विदेति गंतूण वि पुणो जीवा विपुच्छ वि पुणो लिहिया विपुण वेयर एए वि पेच्छ जीवा एए वि मए लिहिया एए वि भए लिहिया एए वि मए लिहिया एए वि मया लिहिया एए वि वणियउत्ता एए वि हलियउत्ता एए वि हु मित्ताई एए समरि सहा पक्का ए एहि सागयं ते एहिं लक्खणेहिं एएहिं समं सुंदरि एक्कत्तीस च गुणे एक्कम्मि अणेयाओ एक्कम्मि वि जम्मि पदे एक्कस्स देहि विहवं एक्कस होणं एक्कं पंडियमरणं एक्कं पावारंभं एक्कं भणामि वयणं एक्का कोमलकयली एक्का जंपर महिला एक्का णाभीवेढं एक्का नियंबगरुई एक्का णियंबगरुई गंतुं एक्का ताणं माया एक्का पिण्णा एक्का मउंदमज्झा एक्का मालूरथणी १८८-२६ १८८-३ १८८ - २९ १८८ - २८ १९१-९ १८७-५ १८९ - २४ १८९ - २९ १८७ - ३ १८९ - २५ १८९ - ३० १८८ - २१ १८९ - २८ १८९ - २ १९१-२ १९१ - १९ १८६ - ६ १८६ - २३ ३९.४ २४५ - ३२ ८७-७ २१८ - १९ १३० - २८ २७२ - ३१ २५ - १९ २१९-५ १२८-३० २५९-९ २७६-३० २४६-१७ १३३-३० २३४-९ १८२-५ २३४-१२ २३४-१० २४-३१ १९०-३२ २३४-१६ २३४-११ २३४ - १३ www.jainelibrary.org
SR No.002778
Book TitleKuvalayamala Part 2
Original Sutra AuthorUdyotansuri
AuthorA N Upadhye
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year1970
Total Pages368
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
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