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दानशील, साहित्यरसिक, संस्कृतिप्रिय
पार कर
स्वर्गीय बाबू श्रीमान् बहादुर सिंहजी सिंघीजी
सादर समर्पित.
इस ग्रन्थमालाके जन्मदाता और पोषक वे ही थे। उन्हीके संकल्पसे ग्रन्थमाला फली फूली और उन्हीके प्रोत्साहनसे मैंने इस ग्रन्थमालाको परिपुष्ट करनेका भरसक प्रयत्न किया।
मुनि जिनविजय
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