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श्री शुभचन्द्राचार्यवर्येण विरचितम्
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की प्रदात्री थी । एवं महाराज आगे तीर्थंकर होंगे, इस बात को प्रकट करनेवाली थी । और धर्म से विमुख महाराज को धर्म-मार्ग पर लानेवाली थी ।।२१८-२१६।।
इति श्री श्रेणिकभवानुबद्ध भविष्यत्पद्मनाभ पुराणे भट्टारक श्रीशुभचंद्राचार्य विरचिते मुनि संगमवर्णनो नाम नवमः सर्गः ॥ ६ ॥
इस प्रकार भविष्यतकाल में होनेवाले श्री पद्मनाभ तीर्थंकर के भवांतर के जीव महाराज श्रेणिक को भट्टारक श्री शुभचन्द्राचार्य विरचित मुनिराज का समागम-वर्णन करनेवाला नवम सर्ग समाप्त हुआ ।
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