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तृतीय परिच्छेद
हिन्दी अनुवाद
श्री पंडित माणिक्क द्वारा साहु श्री महणा के पुत्र चौधरी देवराज के लिए रचा गया यह महाराजश्री अमरसेन का चरित चारों वर्ग की सुन्दर कथा रूपी अमृत रस से पूर्ण है । इसमें अमरसेन को राज्य की प्राप्ति तथा वइरसेन के द्रव्य का मागधी वेश्या द्वारा विभाजन का वर्णन करनेवाला यह तीसरा परिच्छेद / संधि पूर्णं हुआ । कवि का आशीर्वाद है कि
जिसकी वाणी परोपकार करने में श्रेष्ठ है, जिसे सर्वदा श्रुत की चिन्ता रहती है, जिसका शरीर वृद्धजनों की सेवा में निरत है, जिसकी कीर्ति तीनों लोकों में व्याप्त है, जिसका धन निरन्तर नित्य सत्पात्र के दान रूपी उद्यम से सुशोभित होता है, वह देवराज नाम का गुण निधि पृथिवीतल पर आनन्दित रहे ।
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