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प्रस्तावना पाण्डुलिपि - परिचय
पत्र-परिचय : प्रस्तुत पाण्डुलिपि की यह प्रति आमेर शास्त्र भण्डार श्रीमहावीरजी के सौजन्य से प्राप्त हुई है। इसका प्रथम पत्र नहीं है । कुल पत्र छियानबे थे, अब पंचान्नबे रह गये हैं । प्रत्येक पत्र की लम्बाई उन्तीस सेण्टीमीटर और चौड़ाई दस सेण्टीमीटर है । प्रत्येक पत्र में नौ पंक्तियाँ और पंक्तियों में छब्बीस से पैंतीस तक अक्षर हैं। अक्षरों का आकार न बहुत छोटा है और न बहुत बड़ा । पत्र में दोनों ओर लिखा गया है ।
पत्र के चारों ओर रिक्तस्थान छोड़ा गया है। दायीं और बायीं दोनों ओर का रिक्त स्थान दो-दो सेण्टीमीटर है। इसके पश्चात् आधे सेण्टीमीटर स्थान में दोनों ओर दो-दो खड़ी रेखाएँ दी गयी हैं । इन रेखाओं का भीतरी भाग काली स्याही से भरा गया है । दायीं बायीं इन रेखाओं के मध्य चौबीस सेंटीमीटर स्थान में लेखन कार्य किया गया है।
प्रत्येक पत्र की चौथी से छठी पंक्ति के मध्य में दो सेंटीमीटर का चौकोर रिक्त स्थान भी छोड़ा गया है। उसमें पौन सेंटीमीटर का एक काली स्याही से भरा हुआ वृत्त दिया गया है । कुछ पत्रों की दोनों ओर उक्त पंक्तियों के आदि और अन्त में भी एक-एक वृत्त दिया गया है । इस प्रकार पत्र अलंकृत दिखाई देते हैं ।
पाण्डुलिपि के सांकेतिक चिह्न
१. लेखन कार्य में अशुद्ध वर्ण को इंगित करने के लिए लिपिकार ने अशुद्ध वर्ण के सिरोभाग पर दो आड़ी-छोटी रेखाओं का व्यवहार किया है तथा अशुद्ध वर्णों के शुद्ध रूप उसी पंक्ति को दायीं बायीं किसी एक ओर लिखे गये हैं । यदि ऊपर-नीचे लिखे गये हैं तो उनकी सम्बन्धित पंक्तिसंख्या भी उनके सामने दी गयी है ( १|१|१४, ७/८ ७, ३|११|८ ) |
२. जिस शब्द का अर्थ स्पष्ट करना आवश्यक समझा गया है उस शब्द के ऊपर दो छोटी- आड़ी रेखाएँ दी गयी हैं तथा ऊपर-नीचे कहीं भी सुविधानुसार दो आड़ी रेखाओं के पश्चात् पंक्ति संख्या देकर उक्त शब्द का इष्ट अर्थ लिखा गया है ( १/६/५, १/९/३, ११९/१० ) ।
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