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परम वंदनीया, शासनज्योति, शासनउत्कर्षिणी
गुरुवर्यांश्री मनोहर श्रीजी म.सा.की ४३ वीं दीक्षा पर्याय के उपलक्ष में
सादर समर्पण
गुरुवर्या आप शासन के ताज है
आपकी सरलता क्षमता पर हमें नाज है, तुम जीओ हजारों वर्ष गूंजता नाद है
नत मस्तक हो यही मंगल कामना का साज है।
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