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________________ ॥ दिनशुद्धिः॥ चंडविचार.उदयवसा अहवा दिसिदारजवस हवे ससीउद। सो अनिमुहो पहाणो गमणे अमिआई वरसंतो ॥ ३ ॥ उदयना वशथी अथवा दिशि घारना नत्रना वशथी ( सवा बे दिवसे जे चं दी जूदी राशिमां जाय बे ते) चंजनो उदय कहेवाय जे. अमृतने वरसावतो ते चंग याणमां सन्मुख होय तो ते प्रधान ( सारो) . ७३. शुक्रविचार.जहिं जग्ग जहिं दिसि नम जहिं च दारनिहा। . तिहुँ परिसंमुह सुक्क पुण उदज जि श्क्कु गम ॥ ४ ॥ । शुक्र जे दिशामां उगे जे, जे दिशामां जमे अने जे धारनी सन्मुख रहे जे ते त्रणे कारे शुक्र सन्मुख कहेवाय ने, परंतु एक उदयने आश्रीनेज गणाय जे. अर्थात् उदने श्राश्रीने शुक्रनी सन्मुखता प्रयाणसमये वर्जवी. ध. पाश तथा काळ विषे.सियपडिवयाउ पुवाश्सु पासु दसदिसिहिं कालु तयनिमुहो । कुजा विहारि वामो पासो कालो उ दाहिण ॥५॥ शुक्लपक्षना पमवाथी श्रारंजीने अनुक्रमे पूर्वा दिक दश दिशामां पाश होय , टले के सुदि पवाए पूर्वमां, बीजे अग्निमां, त्रीजे दक्षिणमां ए रीते गणतां बाठमे शानमां, नोमे ऊर्ध्व दिशामां अने दशमे श्रधो दिशामां, पनी अगीयारशे पूर्वमां, एम रीने गणतां वद पांचमे अधो दिशामां पाश आवे, थने त्रीजी वार वद बने पूर्वमा रीते गणतां वद अमावास्याए अधो दिशामां आवे. जे दिशाए पाश होय तेनी सन्मुनी दिशाएज काळ होय . प्रयाणसमये पाशने वाम (माबो) करवो अने काळने क्षिण (जमणो ) करवो. ८५. हंस (नामी) विचार.पुन्ननाडिदिसापायं अग्गे किच्चा सया विऊ। पवेसं गमणं कुजा कुणंतो साससंगहं ॥ ६ ॥ | पूर्ण नामीनी दिशाना पगने श्रागळ करीने एटले नसकोरानी जे बाजुमां श्वास परिपर्ण वहेतो होय ते बाजुना पगने श्रागळ करीने विधान पुरुषे श्वासने रुंधीने सदा विश भने गमन करवं. ७६. ॥ इति प्रस्थानम् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002765
Book TitleArambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1918
Total Pages524
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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