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॥बनशुधिः ॥ ___ एकम ने शुक्रवार होय, बीज ने बुधवार होय,त्रीज ने मंगळवार होय, चोथ ने शनिपार होय, पांचम ने गुरुवार होय, बस ने मंगळ के शुक्र होय, सातम ने बुध होय, श्राधम ने रवि के मंगळ होय, नोम ने शनि के चंग होय. २. दशम ने गुरु होय, अगीयारशने गुरु के शुक्र होय, बारश ने बुध होय, तेरश ने मंगळ के शुक्र होय, चौदश ने शनि होय तथा पूनम ने गुरु होय तो ते सिद्धि योग कहवाय जे. ते सर्व कार्यमां शुन्न . २ए. इति तिथिवारसिधियोगाः।।
हत्थुत्तर ४ मूलाई ५ रविणो सिकाई पंच रिकाई।
रोहिणि १ मिथसिर २ पुस्सा ३ णुराह ४ सवणाई ५ सोमेणं ॥३॥ रविवारे हस्त, त्रण उत्सरा अने मूळ ए पांच नक्षत्रोमांचें कोई होय तो सिद्धि योग थाय जे. सोमवारे रोहिणी, मृगशीर्ष, पुष्य, अनुराधा अने श्रवण होय तो सिद्धि योग प्राय जे. ३०.
उत्तरनदवय १ स्सिणि २ रेवश्३ रिकातिनि नोमेणं । कित्तिय १रोहिणि मिथसिर ३ पुस्सअणुराहा उ ५ पंच बुहे ३१ मंगळवारे उत्तरालाजपद, अश्विनी अने रेवती एत्रण नक्षत्र होय, बुधवारे कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिर, पुष्य, अनुराधा ए पांच नक्षत्र होय तो सिद्धि योग जाणवो. ३१.
अस्सिणि १ पुस्स २ पुषवसु ३ अणुराहा ४ रेवई थ ५ गुरुवारे । सत्तम पढमिकारस रेवश् अणुराह सवण सिए ॥ ३ ॥ गुरुवारे अश्विनी, पुष्य, पुनर्वसु, अनुराधा अने रेवती होय, शुक्रवारे पुनर्वसु, अश्विनी, पूर्वाफाल्गुनी, रेवती, अनुराधा अने श्रवण होय तो सिद्धि योग थाय जे. ३५.
रोहिणि १ सवणं २ साई ३ सणिणा श्य रिकवार सुह जोगा।
अन्ने वि एवमा वित्थरगंथेसु जाणिजा ॥ ३३ ॥ शनिवारे रोहिणी, श्रवण के स्वाति होय तो सिद्धि योग थाय बे. या प्रमाणे नक्षत्र अने वारथी थता शुन्न योगो के. श्रा विगेरे बीजा पण योगो विस्तारवाळा ग्रंथोथी जाणी सेवा. ३३. ॥ इति नत्रवारसिघियोगाः ॥ इति सिघियोगाः॥
__ हवे कुमार योग कहे जे. अस्सिणि १ रोहिणि श्मूलं ३ हत्थ पुणवसु ५ विसाह ६मह सवणा। जद्दवया विश्र पुवा ए मंगल १ सिय २बुह ३ ससी ४ वारा ॥३४॥
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