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________________ ॥अथ विमर्शः।। चंड होय पारे चोथ दग्धा तिथिजाणवी, तुला अने सिंहना चंद्र होय त्यारे उघ, मकर अने मीना चंड होय त्यारे आठम, कृपन अने कर्कना चंज होय त्यारे दशम तथा वृश्चिक थाने कन्याना चंज होय त्यारे बारशने दग्धा तिथि जाणवी.” दग्धा तिथिमां जन्मेलुं बाळक प्राये अटप आयुष्यवाळु होय बे. 'दग्धा तिथिy फळ यतिवबल नामना ग्रंथमां या प्रमाणे कडं . "कुष्टं क्षौरेऽम्बरे दौःस्थ्यं गृहवेशे तु शून्यता। श्रायुधे मरणं यात्राकृष्युबाहा निरर्थकाः॥" दग्धा तिथिने दिवसे दौर कराववाथी कुष्ट रोगथाय ने, नवं वस्त्र पहेरवाथी दुःस्थिति थाय ने, नर्कर घरमा प्रवेश करवाथी शून्यता थाय ने, नर्बु शस्त्र धारण करवाथी मरण थाय बे, श्रने यात्रा, खेती तथा विवाह करवाथी ते निष्फळ थाय . हवे क्रूर तिथि कहे बे.त्रिशश्चतुर्णामपि मेषसिंहधन्वादिकानां क्रमतश्चतस्रः। पूर्णाश्चतुष्कत्रितयस्य तिस्रस्त्याज्या तिथिः क्रूरयुतस्य राशेः॥७॥ अर्थ मेषथी, सिंहथी अने धनथी आरंजीने राशिनां त्रण चतुष्क करवा. तेमां प्रतिपशी प्रारंजीने अनुक्रमे चार तिथिङ तथा पहेली पूर्ण एटले पांचम ए तिथिळने पहेला चतुएकमां क्रूर तिथि जाणवी. ए रीते वीजा चतुष्कमां उन्धी आरंजी नोम सुधी तथा बीजी पूर्णा एटले दशम क्रूर तिथि जाणवी. तथा त्रीजा चतुष्कमा अग्यारशथी आरंजीने चोदश सुधी तथा त्रीजी पूर्ण एटले पूर्णिमा ए तिथिने क्रूर तिथि जाणवी. (श्रा क्रूर तिथि सर्व शुन्न कार्यमां तजवानी . ) एटले के मेष राशिमा ( रवि, मंगळ, शनि के र दु एमांथी ) को पण क्रूर ग्रह होय तो एकम अने पांचम, वृष राशिमां को पण क्रूर ग्रोह होय तो बीज अने पांचम, मिथुनमां क्रूर ग्रह होय तो त्रीज अने पांचम, तथा कर्कमां क्रूर ग्रह होय तो चोथ अने पांचम आ तिथि क्रूर जाणवी. एवी रीते सिंह राशिमां बम अने दशम, कन्यामां सातम अने दशम तथा वृश्चिकमां नोम अने दशम ए तिथि क्रूर जाणवी. ए रीतेधनमा अग्यारश अने पूर्णिमा, मकरमां वारश अने पूर्णिमा, कुंजमां तेरश अने पूर्णिमा तथा मीनमां चौदश अने पूर्णिमा ए तिथिर्ड क्रू: जाणवी. या राशि केवळ क्रूर ग्रह सहित होय तो ज ते तिथि क्रूर थाय बे, पण .. म्य ग्रहनी साये होय तो ते तिथि शुन ज जाणवी. “जे माणसनी नामराशि क्रूर ग्रहे छाक्रांत होय ते माणसे शुन कार्यमांते राशि संबंधी तिथि वर्जवी" एम केटलाक कहे जे. वठी बीजा कोश् श्राचार्य कहे जे के-मेष राशि क्रूर ग्रह सहित होय त्यारे एकम श्रने पांचमनी पहेली पंदर धमीनो त्याग करवो, वृष राशि क्रूर ग्रह सहित होय त्यारे आ. २ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002765
Book TitleArambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1918
Total Pages524
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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