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________________ ॥ प्रथमो विमर्शः ॥ एटले चियामा प्रवेशमां बिलकुल सेषी नहीं. श्रा व्यवस्था मांगी, अन कार्यमां तो अशुभ तिथि ज विशेष सिद्धिकारक गाय परनी सर्व तिथि पवित्र नामे होवाची अशुभ वे कहां वे के"पष्ठ्यष्टमी चतुर्थीचतुर्दशी धादशी कुहूनवमीः । पाण्याद्दुर्लते नेतैषु संसिद्धिम् ॥” श्राम, चोथ, चौदश, बारश, अमास श्रने नोम आटली तिथि पक्ष वाय बे. श्रतिथिए करेला कार्यनी सिद्धि यती नथी. तेमां पण अने बेतिथि यात्रामा विशेष अशुभ बे; परंतु ध्रुव कार्यमां ते बे तिथि शुभ कहे बे. "चौदश पण यात्रामां विशेष छाशुन बे” एम श्रीपति कहे बे. त्रीन् वारान्· स्पृशती त्याज्या त्रिदिनस्पर्शिनी तिथिः । वारे तिथित्रयस्पर्शिन्यवमं मध्यमा च या ॥ ५ ॥ - जे तिथि वृद्धि होवाने सीधे ऋण वारने स्पर्श करती होय ते त्रिदिनस्पर्शिनी atra. हर्षप्रकाश ग्रंथमां ने फल्गु नामे तिथि कही बे, तथा तिथिना हयने वामां ण तिथिनो स्पर्श थतो होय तो ते त्रण तिथिमांनी वाचली तिथि रे (क्षय) कहेवाय बे. या त्रिदिनस्पर्शिनी तथा श्रवम ए बन्ने तिथि शुन र्जवी. कांबे के - “दिनदये जवेत्कार्यदक्ष्यस्तेन शुद्धं न तत् । प्रकृत्यन्यत्वमुत्पातत्र्यहस्पृक् तदतोऽशुनम् ॥” 6 स ( तिथि) नोय होय तो कार्यनो क्ष्य थाय बे, माटे हय तिथि शुज नथी; तिनुं श्रन्यपणं एटले विकार होय तो ते उत्पात कहेवाय बे, तेथी त्रण दिवसने नारी तिथि शुन बे. हवे दग्धा तिथि कहे . दग्धामर्केण संक्रान्तौ राश्योरोजयुजोस्त्यजेत् । नूत ५ हगू २ युक्तयोः शेषां शोधिते जगणे १२ तिथिम् ॥ ६॥ - सूर्यनी संक्रांतिमां जे राशि चालती होय ते जो विषम ( एकी) होय तो मेवा, ने जो सम ( बेकी ) होय तो तेमां वे उमेरवा. पढी तेनो बारे जेक शेष रहे ते तिथिने दग्धा तिथि जाणवी बारे नाग लेतां जो शून्य तो बारशने दग्धा जाणवी, अने बारे नाग लइ न शकाय तो ते ज तिथि दग्धा आ दग्धा तिथि शुभ कार्यमां वर्जवानी बे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002765
Book TitleArambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1918
Total Pages524
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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