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________________ कुंन्न ॥ पञ्चमो विमर्शः॥ ३६५ श्लोकमां “क्रमोत्क्रमस्थाश्चरखंमकैः स्वैः” “अनुक्रमे अने उत्क्रमे रहेला ते लंका लग्नना पळो अनुक्रमे तथा उत्क्रमे स्थापन करेला चरखंमोवमे रहित अने सहित करवा' एम कडं ने, माटे जेम लंका लग्ननी त्रण राशिने अनुक्रमे (२७०-२एए-३५३) तथा उत्क्रमे ( ३५३-शएए-२७०) करीने स्थापन करी , तेज रीते चरखमोनी त्रण राशिने पण अनुक्रमे (५१-४१-१७) तथा उत्क्रमे (१७-१-५१) स्थापन कावी. पती प्रथमनांत्रण लंकालनोमांथी प्रथमनीत्रण चरखंमोनी राशिने बाद करवी. अने पजीनां त्रण लग्नोमां पीनी त्रण राशि नाखवी-नेळववी. तेम करवाश्री मध्य देशमा मेषथी कन्या सुधीनी बराशिनां लग्नो थयां. तेज उ लग्नो उत्क्रमे स्थापन करवाश्री तुलाने आरंजी मीन पर्यंतनां लग्नो थाय . तेनी स्थापना नीचे प्रमाणे. मध्य देशमा लग्नना माननी स्थापना मेष २७ मीन वृष मिथुन ३०६ मकर कर्क ३४० सिंह ३४० वृश्चिक कन्या ३२ए तुला तेज रीते अणहिलपुर पाटणमा ५३-४३-१७ चरखंको श्राय जे. केवी रीते श्राय ? ते बतावे . "अणहिलपुरे तस्मिन् दिने मध्याह्नसंन्नवा । गया विषुवती पञ्चाङ्गुला व्यङ्गुलविंशतिः ॥ १ ॥ दशादिघ्ने ये षष्ट्या हृतेऽथ व्यङ्गुलाङ्कके। लब्धं चोपरि संयोज्यं मानमेवं ततो नवेत् ॥ २॥" "अणहिलपुर पाटणमा ते दिवसे मध्याह्नसमये विषुवती नामनी देहगया अंगुल ५ अने व्यंगल २० नीचे. या वन्ने (५-२० )ने दश, आठ अने दशवमे गणवा. व्यंगुलना अंकने साठे जाग देतां नागमां आवेला अंकने उपर अंगुलना अंकमां चमाववो. तेम करवायी उपर कहेलु ( ५३-३३-१७) चरखंमोनुं मान अशे.” आ सर्व रीत मुहूर्त्तसारमा कही बे. __ त्यारपती आ (५३-५३-१७) चरखंमोवझे बकानां लग्नोनो संस्कार करवाश्री श्रणहिमपुर पाटणनां लग्नो थाय ने, ते बाबत कहे जे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002765
Book TitleArambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1918
Total Pages524
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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