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२-३
॥पञ्चमो विमर्शः॥
३४ प्रतिष्ठाने विषे ग्रहसंस्थानो यंत्र. उत्तम.
मध्यम. विमध्यम. अधम. रवि | ३-६-११
१-२-४-9--ए-१२ चं |२-३-११
१-४-६-७-८-१० मंगळ ३-६-११
१-२-४-9--ए-१०-१२ बुध । १-२-३--५-१०-११
६-७-ए
७-१२ गुरु १-२-४-५-ए-9-१०-११
७-१२ शुक्र |१--५-ए-१०-११ शनि ३-६-११
५-१० १-२-४-----१२ रा.के. ३-६-११
२-४-ए-G-ए-१०-१२ ० १-७
पूर्णला ग्रहसंस्थाना फळने या प्रमाणे कहे जे."प्रासादलंग १ हानी २ धनं ३ स्वजन ४ पुत्रपीम ५ रिपुघाताः ६।
स्त्रीमृति ७ मृति धर्मगमाः ए सुख १० दि ११ शोका १२ स्तनोःप्रति सूर्यात्॥१॥" "प्रतिष्ठा लग्नमां जो सूर्य पहेले स्थाने रह्यो होय तो प्रासादनो नाश थाय १, बीजे होय तो हानि थाय २, त्रीजे होय तो धन मळे ३, चोथे होय तो स्वजनने पीमा थाय ४, पांचमे होय तो पुत्रपीमा थाय ५, बछे होय तो शत्रुनो नाश थाय ६, सातमे होय तो स्त्रीनु मरण थाय ७, ठमे होय तो पोतानुं मरण थाय , नवमे होय तो धर्मनो नाश थाय ए, दशमे होय तो सुख मळे १०, अगीयारमे होय तो शधि मळे ११ अने बारमे होय तो शोक थाय १२."
"कर्तृविनाश १ धनागम २ सौलाग्य ३ घन्छ । दैन्य ५ रिपुविजयाः ६।
शशिनोऽसुख ७ मृति - विघ्ना ए नृपपूजा १० विषय ११ वसुहानी १२॥॥" "चंड पहेले स्थाने होय तो प्रतिष्ठा करनारनो नाश थाय १, बीजे होय तो धननी प्राप्ति श्राय २, बीजे होय तो सौलाग्य थाय ३, चोथे होय तो युष थाय ४, पांचमे होय तो दीनता थाय ५, बछे होय तो शत्रुनो जय थाय ६, सातमे होय तो असुख थाय ७, आठमे होय तो मरण थाय , नवमे होय तो विघ्न थाय ए, दशमे होय तो राजाथी सन्मान मळे १०, अगीयारमे होय तो विषयविकारनी हानि थाय ११ श्रने बारमे होय तो धननी हानि थाय १२.” ।
"दहनं १ सुरगृहलंगो २ नूलालो ३ रोग । पुत्रशस्त्रमृती ५।
रिपु ६ नारी स्वजन गुणत्रंशा एरोगा १० र्थ ११ हानयो १२नौमात् ॥३॥" "मंगळ पहेले स्थाने होय तो प्रासाद बळी जाय १, बीजे होय तो देवनो प्रासाद नांगी जाय २, त्रीजे होय तो पृथ्वीनो लाल थाय ३, चोथे होय तो रोग थाय ४,
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