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॥पञ्चमो विमर्शः॥
३०५ अर्थ-सूर्य अने चंजना नुक्त अंश तथा राशिने एकग करवाथी क्रांतिसाग्य नामनो दोष थाय बे. तेमां जो ते एकग करेला राशिनी संख्या अर्धचक एटले उनी श्रावे तो ते क्रांतिसाम्यनुं नाम व्यतिपात कहेवाय ने, अने जो चक एटले वारनी संख्या आवे तो तेनुं पात तथा वैधृत एबुं नाम कहेवाय . आ बन्ने प्रकारनो क्रांतिसाम्य दोष शुन्न कार्यमां तजवा योग्य .
विस्तरार्थ-स्पष्ट करेला सूर्य अने चंपने अयनांशो सहित करवा. पनी तेमां नुक्त अंश तथा राशि नाखवा. तेमां जो राशिना अंकने स्थाने उनी के वारनी संख्या यावे तो क्रांतिसाम्यनो संनव एम जाणवू. ते वेळा तजवा योग्य वे. ते क्रांतिसाम्य नाभनो दोष जो उनी संख्यावमे श्रयो होय तो तेनुं व्यतिपात एq नाम कहेवाय ने, अने जो बारनी संख्यावझे थयो होय तो तेनां पात अने वैधृत एवां वे नाम कहेवाय . अहीं तात्पर्य ए के-श्रा क्रांतिसाम्यनी वेळा निश्चयथी कही शकाती नथी, कारण के वर्षे वर्षे ते वेळा अनियमित वखते थावे . तेने माटे विवाहवृंदावनने विषे कह्यु के
“त्रिजागशेषे ध्रुवनानि चैन्धव्यंशे गते सम्प्रति संनवोऽस्य ।" “विष्कंनादिक योगो मांहेना ध्रुव नामना योगनो त्रीजोनाग शेष रहे त्यारे अने ऐं नामना योगना त्रण नाग वीती जाय त्यारे हालना समयमां आ क्रांतिसाम्य नामना दोषनो संजव जे."
त्यारपी कोइए श्राम कर्तुं .
"पूर्वार्धे पुनरैन्जस्य पश्चिमार्धे ध्रुवस्य च ।" "ऐंजना पहेला अर्ध नागमां अने ध्रुवना पाउला अर्धा नागमां श्रा क्रांतिसाम्यनो संजव जे.” हमणां तो
"ब्रह्मणश्चरणे शेषे ध्रुवस्य चरणे गते । तत्संलव इत्याहुः०
॥१॥" "ब्रह्मा नामना योगनो चोथो नाग शेष रहे त्यारे अने ध्रुव योगनो एक पाद (चोयो जाग) जाय त्यारे ते क्रांतिसाम्यनो संजव ने एम ज्योतिषशास्त्र जाणनारा कहे जे." __ या बाबत शी रीते निश्चय करवो ? ते माटे कहे जे के-'ते वखतना सूर्य अने चंने राशि, अंश विगेरे रूपे स्पष्ट करीने ते वर्षना अयनांशोने ते ( स्पष्ट करेला सूर्य अने चंड)मां नाखवा. पगी ते बन्नेने एका करवा. तेमां जो राशिनी संख्या ब अथवा बार श्रावे तो क्रांतिसाम्यनो संलव जे एम जाणवू. तेमां पण आ प्रमाणे विशेष जाणवू.-जो उनी के बारनी संख्या पूरेपूरी एटले के अंश, कळा विगेरेने स्थाने शून्यज १ जे वखते कार्य करवानुं होय ते वखतना.
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