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________________ २७१ ॥ चतुर्थो विमर्शः॥ हवे खग्नवळ कहे .जन्मराशिविलग्नाच्या प्रथमोपचयस्थितम् । लग्नं स्थिरं तदंशश्च प्रवेशे सन्निरिष्यते ॥ ७ ॥ अर्थ-सत्पुरुषोए गृहप्रवेशने विषे जन्मनी राशिथी अने जन्मलग्नथी प्रथम तथा उपचयस्थानमा रहेलुं स्थिर लग्न तथा तेनो अंश ( नवांश ) श्वेलो ने. अहीं प्रथम स्थान एटले जन्मराशि अने जन्मलग्नरूपज लग्न होय तो ते गृहप्रवेशमा प्रशस्य जे. ते विषे लक्ष कहे वे के "स्वनक्षत्रे स्वलग्ने वा स्वमुहूर्ते स्वके तियो । गृहप्रवेशमंगट्यं सर्वमेतत्तु कारयेत् ॥ १॥ कुरकर्म विवादं च यात्रां चैव न कारयेत् ।” "पोताना (जन्मना ) नक्षत्रमां, पोताना लग्नमां, पोताना मुहूर्त्तमां अने पोतानी तिथिमा गृहप्रवेश तथा सर्व मांगलिक कार्य करावयां, परंतु क्षौर कर्म, विवाद तथा यात्रा ए त्रण कार्य करावयां नहीं." जन्मराशि ने जन्मलग्न थकी उपचयस्थानमा (३-६-१०-११) रहेलो पण राशि प्रशस्य रे. ते विषे लह कहे के __ "धारोग्यदो १ धनहरो २ धनदः ३ सुखघ्नः ४, पुत्रान्तको ५ ऽरिंगणहा ६ ऽथ नितम्विनीनः । प्राणान्तकृत् - पिटकदो ए ऽर्थ १० धनौघ ११ नीदो १२, जन्मदतस्तमुदयाच्च विलग्नराशिः॥१॥" "जन्मना नक्षत्रथी तथा तेना उदयथी लग्ननो राशि जो पहेले स्थाने होयतो आरोग्य आपे , वीजे होय तो धननो नाश करे , त्रीजे होय तो धनने आपे चे, चोथे होय तो सुखनो नाश करे , पांचमे होय तो पुत्रनो नाश करे, उठे होय तो शत्रुना समूहनो नाश करे, सातमे होय तो स्त्रीनो नाश करे, आम्मे होय तो पोताना प्राणनो नाश करे, नवमे होय तो व्याधि करे, दशमे होय तो धनने आपे, अगीयारमे होय तो धननो समूह थापे अने बारमे होय तो जयने श्रापे ." मूळ श्लोकमां सामान्य रीते स्थिर लग्न कडं , तोपण ते स्थिर लग्न गामर्नु ले, पण अरण्यनुं लेवू नहीं, एटले के वृष के कुल लग्नमां के तेना नवांशमां गृहप्रवेश करवो श्रेष्ठ ने, केमके ते बे लग्नज ग्रहण करवा लायक (ग्राम्य ) . मूळमां तेनो अंश कह्यो ने ते साथे च शब्द सख्यो , माटे विस्वनाववाळा लग्न तथा अंश ( नवांश) गृहप्रवेशमा सूषित नथी, केमके चर खग्न तथा चर अंशनोज दोप कह्यो . ते विषे सस् कहे वे के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002765
Book TitleArambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1918
Total Pages524
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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