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________________ ॥ तृतीयो विमर्शः॥ १२ए "मंगळवारने दिवसे सूर्योदय वखते वृश्चिक अथवा मेष राशि होय चने नंदा तिथि होय, बुधवारने दिवसे पहेला पहोरने अंते कर्क, मिथुन के कन्या राशि होय अने जा तिथि होय, गुरुवारे दिवसे मध्याह्न समये धन, सिंह के कुल राशि अने जया तिथि होय, शुक्रवारे दिवसे त्रण पहोरने अंते तुला के वृष राशि अने रिक्ता तिथि होय, तथा शनिवारे सूर्यास्त समये मकर के मीन राशि अने पूर्ण तिथि होय, श्रा प्रमाणे अनुक्रमे वार, वेळा अने राशिने विषे तिथि होय तो ते तिथि कुख्य कहेवाय बे, अने तेथी करीने ज ते तिथि ते ते वखते उत्तम बे. हवे रवि पुरुष कहे वे.मूळ ३ स्यां ३ स ५ जुजार करोश र ५ उदरा धोनाग १ जानु श्क्रमे ६, ध्वग्निविछियमछिपञ्चकुकुदृक्तर्केषु नेष्वकैनात् । जूपः १ खाशनो २ सलो ३ऽधिकबल ४ श्चौरो ५ धनी ६ शीलवान् ७, जारः ७ स्यात्पथिकश्च ए निक्नु १० रपि चोत्पन्नः क्रमाबालकः ॥ १६ ॥ अर्थ-सूर्यना नक्षत्रथी पहेला त्रण नक्षत्रो सूर्य पुरुषना मस्तक पर भूकवां, पळीनां ३ मुखमां, पनी खन्ना उपर २, नुजा पर २, हाथमां २, हृदय उपर ५, उदर पर १, अधोनागे (गुह्ये) १, जानुए २ अने पगमां ६ मूकवां. ते ते नक्षत्रमा उत्पन्न श्रयेला वाळकने या प्रमाणे अनुक्रमे फळ जाणवू.-राजा १, मिष्ट नोजनवाळो २, खांधवाळो ३, अधिक बळवान् , चोर ५, धनवान् ६, शीळवान् ७, परस्त्रीरत ७, पथिक ए अने निकुक १७. बे बाहुए होय तो स्थानत्रष्ट थाय एम को ठेकाणे कडं . रवि नरनी स्थापना. राजा मिष्टानोजी खांधवाळो बे बाहुए वळवान् वे हाथे चोर धनवान् नानीए सुशील परस्त्री पर आसक्त बेजानुए परदेशगमन बे पगे निक्षाचारी मस्तके मुखे वे स्कंधे हृदये rrrrrrrror गुह्ये आ०१७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002765
Book TitleArambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1918
Total Pages524
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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