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॥शारंसिद्धि॥ भने पुरुष , वृष अक्रूर अने स्त्री, मिथुन क्रूर अने पुरुष ने विगेरे वारे राशि सुधी बइ जतां मेष, मिथुन विगेरे उ एकीवाळी राशियो क्रूर तथा पुरुषले अने वृष, कर्क विगेरे बेकीवाळी राशि अक्रूर ( सौम्य) अने स्त्री जे. आनुं फळ ए बे के क्रूर अने पुरुष राशिमां जन्मेलां बाळको क्रूर अने तेजस्वी थाय , तथा सौम्य अने स्त्री राशिमां जन्मेलां बाळको सौम्य अने मृड (कोमळ ) थाय ; पण रत्नमाळामां कडं ले के"मेष, सिंह, वृश्चिक, मकर अने कुंज ए पांच राशि क्रूर स्वामीवाळी होवाथी क्रूर ले अने बाकीनी सात राशि सौम्य स्वामीवाळी होवाथी सौम्य बे." वळी क्रूर राति पण सौम्य ग्रहथी युक्त होय अथवा तेना पर सौम्य ग्रहनी दृष्टि पमती होय तो ते सौम्य थाय ने, अने सौम्य राशि पण क्रूर ग्रह सहित होय अथवा तेना पर क्रूर ग्रहनी दृष्टि पमती होय तो ते क्रूर थाय . ते विषे दैवज्ञवसन कहे जे के
“ग्रहयोगेक्षणान्यां स्याजाशे वो ग्रहोनवः।
राशिः स्वनावमाधत्ते ग्रहयोगेकणोनितः ॥१॥" "ग्रहना संबंधथी तथा दृष्टिथी राशिनो नाव ग्रह जेवो थाय बे, पण ग्रहना संबंध तथा दृष्टिथी रहित होय तो राशि पोताना नावने धारण करे .”
हवे राशियोना बळ तथा उदय विषे कहे .षड्र निशाबलिनोऽजोदयुग्मकर्कधनुर्मुगाः। __ पृष्ठेनोद्यन्त्ययुग्मास्ते शीर्षेणान्ये द्विधा ऊषः ॥ १० ॥ अर्थ-मेष, वृष, मिथुन, कर्क, धनुष अने मकर ए उ राशि रात्रिए वळवान् ने. अर्थात् बाकीनी सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, कुंन अने मीन ए 3 दिवसे बळवान् ने एम जाणवू. खोवायेली अथवा चोरायेली वस्तुनो समय जाणवा माटे श्रानुं प्रयोजन के. तेमज दिवसे बळवान् राशिना लग्न वखते दिवसे यात्रादिक करवा शुनकारी ने, अने रात्रिए बळवान् राशिना लग्नमां रात्रे यात्रादिक करवा शुन वे. तेथी विपरीतपणुं इष्ट नश्री. श्रा रात्रिनी बळवान् ब राशिमांथी मिथुन विनानी पांच राशि पृष्ठथी उदय पामे ने एटले उदय समये तेमनुं पृष्ठ प्रथम देखाय . तथा वीजी मिथुन, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक अने कुंन ए उ राशि मस्तकथी उदय पामे ने अर्थात् उदय वखते प्रथम मस्तक देखाय बे. तथा मीन राशि वन्नेथी उदय पामे ने एटले के तेना जदय वखते एकी वखते पृष्ठ तथा मस्तक देखाय बे. आनुं प्रयोजन ए जे जे यात्रादिकमां शीर्पना उदयवाळा लग्नमां जय थाय , अने पृष्ठ उदयना लग्नमां निष्फळ थाय ने विगेरे.
हवे राशिऊनां उच्च स्थान कहे .अर्काद्यच्चान्यज १ वृष २ मृग ३ कन्या कर्क ५ मीन ६ वणिजो ऽशैः। दिग १० दहना ३ष्टाविंशति शतिथी १५षुएनदात्र २७ विंशतिनिः२० ॥१९॥
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