SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 89
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गीली मिट्टी का गोला दीवार से चिपक गया सूखी मिट्टी का गोला दीवार से झड़ गया गोला गीला है, वह दिवार पर लगते ही चिपक जाता है। दूसरे का गोला सूखा है। उसमें गीलापन बहुत ही कम है वह दीवार पर लगते ही हलका सा चिपकेगा तो सूखने पर अपने आप झड़कर नीचे गिर जाएगा। उल्लो सुक्को य दो छूढा, गोलया मट्टियामया। दो वि आवडिया कुड्डे, जो उल्लो सो तत्थ लग्गई।। उत्तरा. 25/42 गीले और सखे गोले की तरह जिस आत्मा में राग-द्वेष का भाव तीव्र होता है, क्रोध, मान, माया, लोभ आदि कषाय उग्र होते हैं, कर्म रूपी रज उसकी आत्मा के साथ गहरे रूप में चिपक जायेंगे। यदि प्रवृत्ति में राग-द्वेष का भाव नहीं है अथवा बहत अल्प है तो या तो कर्म लगेगा नहीं, यदि लग जाये तो कर्म कुछ ही समय में स्वतः झड़ जायेंगे। इस तत्त्व को समझाने के लिए पहला उदाहरण वस्त्र का तथा दूसरा पहलवान का दिया जाता है। एक सूखा वस्त्र रस्सी पर टंगा है तथा दुसरा गीला वस्त्र टंगा है। अब हवा के साथ रजकण उड़कर आ रहे हैं। आँधी आ रही है तो सूखे वस्त्र पर जो मिट्टी गिरेगी तो वह उसे झटकने से ही उतर जाएगी। वस्त्र पर चिपकेगी नहीं। किंतु गीले वस्त्र पर या तेल आदि से चिकने वस्त्र पर मिट्टी आदी के रज कण चिपक जायेंगे, वस्त्र मैला हो जाएगा। जिसे साफ करने के लिए पुनः धोना पड़ेगा। परिश्रम भी करना पडेगा। सूखे शरीर पर दो पहलवान कुश्ती लड़ रहे मिट्टी नहीं चिपकी हैं। एक का शरीर सूखा-लूखा है। दूसरे ने अपने शरीर पर तेल चुपड़ लिया है। दोनों मिट्टी आदि में लोट-पोट होंगे तो सूखा - लूखा शरीर वाले के जब मिट्टी चिपकेगी, वह पोंछने से या पानी से नहाने पर साफ तेल चुपडे शरीर हो जाएगी, किंतु दूसरे चिकने शरीर वाले पर मिट्टी चिपक को मिट्टी आदि उतारने के लिए साबुन | गई। आदि रगड़ना पड़ेगा, मेहनत करने पर शरीर साफ होगा। Walin education internationale For Private 83 Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.002764
Book TitleJain Dharma Darshan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirmala Jain
PublisherAdinath Jain Trust
Publication Year2010
Total Pages118
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy