________________
अतः श्रम के बिना जो धन प्राप्त होता है वह बरसाती नदी की तरह आता है और वह नदी के मूल पानी को भी ले जाता है।
2. मांसाहार त्रस जीवों को वध करके भोजन के रूप में उपयोग करना मांस भक्षण है।
यह निर्दयता व क्रूरता की सबसे बड़ी निशानी है। मांस, मछली, अण्डे आदि मांसाहारी पदार्थों का सेवन करना ‘मांस भक्षण है। मनुष्य जीभ के स्वाद के लिए बेचारे मूक व निरपराधी प्राणियों की हत्या करके मांस का सेवन करता है।
सभी धर्म-प्रवर्तकों ने नैतिक दृष्टि से मांसाहार को
निन्दनीय और हिंसाजनक माना है। मांसाहार करने वाले मांसाहार को जघन्य दृष्टि से देखा जाता है। सामाजिक, नैतिक,
धार्मिक व स्वास्थ्य की दृष्टि से भी मांसाहार हानिप्रद है। आध्यात्मिक दृष्टि से ही नहीं, आर्थिक दृष्टि से भी मांसाहार अनुपयुक्त है। मांसाहार घोर तामसिक आहार है जो जीवन में अनेक विकृतियां पैदा करता है।
अतः मनुष्य की स्वाद लोलुपता के अतिरिक्त और कोई तर्क ऐसा नहीं है जो मांसाहार का समर्थक हो सके। शक्तिदायक आहार के रूप में मांसाहार के समर्थन का एक खोखला दावा है। यह सिद्ध हो चुका है कि मांसाहारियों की अपेक्षा शाकाहारी अधिक शक्ति संपन्न होते है और उनमें अधिक काम करने की क्षमता होती है। शेर आदि मांसाहारी प्राणी शाकाहारी प्राणियों पर जो विजय प्राप्त कर लेते है उसका कारण उनकी शक्ति नहीं, बल्कि उनके नख, दांत आदि क्रूर शारीरिक अंग ही है।
मांसभक्षी पशुओं के शरीर की रचना और मानव-शरीर
की रचना बिल्कुल भिन्न है। आधुनिक शरीरशास्त्रियों का भी स्पष्ट अभिमत है कि मानव का शरीर मांसभक्षण के लिए सर्वथा अनुपयुक्त है। मानव में जो मांस खाने की प्रवृत्ति है, वह उसका नैसर्गिक (Natural)रूप नहीं है, किन्तु विकृत रूप है। यह बात अनेक वैज्ञानिक अनुसंधानों से प्रमाणित हो चुका है। (मिर्गी) ऐपीलैपसी (Epilpsy):- यह इन्फैक्टेड मांस व बगैर धुली सब्जियां खाने से होता है;
आंतों का अलसर, अपैन्डिसाइटिस, आंतों और मल द्वार का कैंसर :- ये रोग शाकाहारियों की अपेक्षा मांसाहारियों से अधिक पाए जाते है।
गुर्दे की बीमारियाँ (Kidney Disease):- अधिक प्रोटीन युक्त भोजन गुर्दे खराब करता है। शाकाहारी भोजन फैलावदार होने से पेट जल्दी भरता है अतः उससे मनुष्य आवश्यकता से जबकि मांसाहार से आसानी से आवश्यकता से अधिक प्रोटीन खाया जाता है। संधिवात रोग, गठिया और वाय रोग (Rheumatoid arthritis, gout and other type of astheritisis):
सड की मात्रा बढाता है जिसके जोडों पर जमाव हो जाने से ये रोग उत्पन्न होते है। यह देखा गया है कि मांस, अंडा, चाय, काफी इत्यादि छोडने पर इस प्रकार के रोगियों को लाभ पहुंचा। इसलिए मांसाहार की परिगणना व्यसनों में की गई है।
75 For Private & Personal Use Only
Jan Education Intemational
www.jainelibrary.org