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मृगशिर स्थित शुक्र के फल
प्रथम चरणः यहाँ शुक्र हो तो जातक ललित कलाओं, विशेषकर संगीत में निष्णात एवं समाज से सम्मानित भी होता है । उसमें अभिनय की भी क्षमता होती है। जातक में काम- - प्रवृत्ति की अधिकता के भी फल मिलते हैं।
द्वितीय चरण: यहाँ शुक्र हो तो जातक स्वस्थ, परोपकारी तथा धनी होता है। उसे अनेक स्त्रियों का सुख भी मिलता है ।
तृतीय चरण: यहाँ शुक्र हो तो जातक ललित कलाओं में निपुण होता है । विज्ञान एवं शास्त्रों के अध्ययन में भी उसकी रुचि होती है ।
चतुर्थ चरणः यहाँ शुक्र जातक की लेखन या काव्य प्रतिभा में चार चांद लगाता है।
मृगशिर स्थित शुक्र पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि हो तो जातक धनी, भूमि एवं भवनों का स्वामी तथा सुंदर स्त्री का पति होता है ।
चंद्र की दृष्टि संकेत देती है कि जातक की मां की समाज में अत्यंत प्रतिष्ठा होती है, जिसका उसे भी लाभ मिलता है ।
मंगल की दृष्टि वैवाहिक जीवन अशांत बनाती है। स्त्रियों की संगति में उसके धन का अपव्यय होता है।
बुध की दृष्टि जातक को सौभाग्यशाली, प्रसन्नचित्त बनाये रखती है । गुरु की दृष्टि हो तो पत्नी एवं बच्चों का पूर्ण सुख मिलता है । शनि की दृष्टि से जीवन दुखी रहता है। पत्नी से भी कष्ट ही मिलता है ।
मृगशिर नक्षत्र में शनि के फल
मृगशिर नक्षत्र में शनि के विशेष शुभ फल नहीं मिलते।
प्रथम चरणः यहाँ शनि हो तो जातक छरहरा, अभावग्रस्त तथा निम्न कोटि की स्त्रियों से यौन-संबंधों के लिए आतुर रहता है।
द्वितीय चरणः यहाँ शनि जातक को कुसंगति का शिकार बनाता है। आय से व्यय अधिक होता है। दीर्घजीवी ऐसा जातक सदैव कामातुर बना रहता है। तृतीय चरण: यहाँ शनि हो तो जातक प्रतिरक्षा सेवाओं में जा सकता है । उसे मस्तिष्क विकार की भी आशंका बतायी गयी है ।
चतुर्थ चरणः यहाँ शनि हो तो जातक धार्मिक वृत्ति का जन्म स्थल से दूर जीवन बिताने वाला होता है।
ज्योतिष - कौमुदी : (खंड-1 ) नक्षत्र-विचार 93
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