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रोहिणी
राशिफल में रोहिणी नक्षत्र 40.00 अंशों से 53.20 अंशों के मध्य स्थित हैं। रोहिणी के पर्यायवाची नाम हैं-विधि, विरंचि, शंकर । अरबी में इसे अल्दे वारान कहते हैं ।
रोहिणी नक्षत्र के साथ अनेक पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। कहीं उसे कृष्ण के अग्रज बलराम की मां कहा गया है तो कहीं लाल रंग की गाय । उसे कश्यप ऋषि की पुत्री, चंद्रमा की पत्नी भी माना गया है।
रोहिणी की आकृति स्थ की भांति आंकी गयी है । उसमें कितने तारे हैं, इस विषय
मतभेद हैं। सामान्यतः रोहिणी नक्षत्र में पांच तारों की स्थिति मानी गयी है । दक्षिण भारत के ज्योतिषी रोहिणी में बियालिस तारों की उपस्थिति मानते हैं। उनके लिए रोहिणी वट वृक्ष स्वरूप का है।
यह नक्षत्र वृष राशि (स्वामी शुक्र) के अंतर्गत आता है रोहिणी के देवता ब्रह्मा हैं और अधिपति ग्रह - चंद्र |
गणः मनुष्य, योनिः सर्प व नाड़ीः अंत्या | चरणाक्षर हैं- ओ, वा, वी, वू
रोहिणी नक्षत्र में जातक सामान्यतः छरहरे, आकर्षक नेत्र एवं चुम्बकीय व्यक्तित्व वाले होते हैं। वे भावुक हृदय होते हैं और अक्सर भावावेग में ही निर्णय करते हैं। उन्हें तुनुकमिजाज भी कहा जा सकता है और उनका हठ लोगों को परेशान कर देता है। उनमें आत्म- लुब्धता की भावना भी होती है । वे औरों पर तत्काल भरोसा कर लेते हैं और धोखा भी खाते हैं । लेकिन यह सब उनकी सत्यनिष्ठता में कोई कमी नहीं लाता ।
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड- 1) नक्षत्र विचार 80
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