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की अवस्था तक जातक को कठिन संघर्ष करना पड़ता है। वैवाहिक जीवन सुखी नहीं होता ।
चतुर्थ चरण: यहाँ बुध जातक को पर्याप्त धन-दौलत देता है।
शतभिषा नक्षत्र में
गुरु के फल
प्रथम चरण ः यहाँ जातक एवं उसकी मां को काफी कष्ट उठाना पड़ता है । जातक शासकीय सेवा में रत रहता है। आयु का इकतीसवां वर्ष दुर्घटनापूर्ण हो सकता है।
द्वितीय चरण: यहाँ वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं होता ।
. तृतीय चरणः यहाँ पाप ग्रहों की दृष्टि बालारिष्ट योग बनाती है । चतुर्थ चरण: यहाँ भी उपरोक्त फल मिलते हैं।.
शतभिषा नक्षत्र में शुक्र के फल
शतभिषा नक्षत्र में शुक्र के शुभ फल प्राप्त होते हैं। जातक सुंदर, आकर्षक व्यक्तित्व वाला, व्यवहार कुशल एवं सामान्यतः शासकीय सेवा में रत रहता है। प्रथम चरणः यहाँ शुक्र जातक किशोरावस्था में ही काम के प्रति आसक्त कर सकता है। जातक का जीवन सुखी बीतता है।
द्वितीय चरण: यहाँ शुक्र जातक को रसायन शास्त्र का विशेषज्ञ बनने की क्षमता देता है ।
तृतीय चरण: यहाँ जातक का व्यक्तित्व आकर्षक होता है। जातक में व्यवहार कुशलता एवं जीवन में शीर्षस्थ पद पर पहुँचने की क्षमता होती है। वह कामभावना से पीड़ित रहता है ।
चतुर्थ चरण ः यहाँ कभी-कभी शिक्षा में व्यवधान आता है तथापि शुक्र की बुध के साथ युति हो तो वह निम्न पद से ऊंचे पद पर पहुँच सकता है।
शतभिषा नक्षत्र में शनि के फल
शतभिषा नक्षत्र में शनि भी प्रायः अच्छे फल देता है।
प्रथम चरणः यहाँ सुखी वैवाहिक - पारिवारिक जीवन की सूचना मिलती है। जातक ईमानदार, परिश्रमी तथा वैज्ञानिक अनुसंधानों में रुचि रखने वाला होता है।
द्वितीय चरण: यहाँ फल शुभ नहीं मिलते। जातक कामासक्त, परस्त्रीगमन की लालसा रखने वाला तथा उग्र स्वभाव एवं रूक्ष वाणी का होता है।
तृतीय चरण: यहाँ जातक में उच्च कोटि की प्रतिभा होती है । वह
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड- 1 ) नक्षत्र विचार 223
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