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________________ तृतीय चरणः यहाँ जातक साहसी, उदार और सत्य वक्ता होता है। उसे 'भोजन भट्ट' कहा जा सकता है। चतुर्थ चरणः यहाँ चंद्र दो पत्नियों का योग दर्शाता है। धनिष्ठा नक्षत्र में मंगल के फल प्रथम चरण: यहाँ मंगल शुभ फल देता है। जातक धनी, सुखी और यशस्वी होता है। द्वितीय चरणः यहाँ जातक की मंत्र शास्त्र में रुचि होती है। वह शत्रुहंता कहा जा सकता है। तृतीय चरण: यहाँ मंगल के कारण जातक संपत्तिशाली लेकिन चतुर और धूर्त भी होता है। जातक मेकेनिकल या इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी जा सकता है। चतुर्थ चरणः यहाँ मंगल के कारण जातक किसी लौह-उत्पादन संबंधी उद्योग में कार्यरत रहता है। धनिष्ठा नक्षत्र में बुध के फल प्रथम चरण: यहाँ बुध के कारण जातक की संगीत एवं कला में रुचि होती है। प्रायः उसे अधीनस्थ जीवन ही बिताना पड़ता है। द्वितीय चरणः यहाँ बुध के अच्छे फल मिलते हैं। जातक सत्ता संपन्न होता है लेकिन वैवाहिक जीवन में दुःख की भरमार रहती है। तृतीय चरण: यहाँ भी बुध उपरोक्त फल देता है। चतुर्थ चरण: यहाँ बुध के कारण वैवाहिक जीवन में कभी न कभी अलगाव की स्थिति के फल मिलते हैं। धनिष्ठा नक्षत्र में गुरु के फल प्रथम चरणः यहाँ गुरु अभावपूर्ण जीवन की सूचना देता है। द्वितीय चरणः यहाँ जातक अध्यापन के क्षेत्र में सफल होता है। तृतीय चरणः यहाँ गुरु के कारण जातक को जन्म-स्थल से दूर जीवन बिताना पड़ता है। ___चतुर्थ चरण: यहाँ गुरु अच्छे फल देता है। जातक सुखी, धनी और जीवन के सारे आनंदों का भोग करता है। धनिष्ठा नक्षत्र में शुक्र के फल प्रथम चरणः यहाँ पत्नी के रोगग्रस्त रहने का फल कहा गया है। ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 218 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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