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भारतीय ज्योतिष में ‘नक्षत्र-विचार' का अत्यन्त महत्व है। किसी भी व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक फैले सोलह संस्कारों में नक्षत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हम जिसे मुहूर्त कहते हैं, उसके मूल में नक्षत्र ही है। नक्षत्र जातक की कुंडली में अपनी स्थिति के अनुसार शुभ-अशुभ फल के साथ-साथ नाना प्रकार की व्याधियों के कारक भी बनते हैं। किसी भी जातक के जन्म नक्षत्र का उस जातक के व्यक्तित्व, स्वभाव आदि पर पर्याप्त प्रभाव पड़ता है। नक्षत्रों के शुभ-अशुभ प्रभावों का आकलन कर कोई भी व्यक्ति अपने दोषों को दूर कर गुणों में वृद्धि कर सकता है। 'ज्योतिष कौमुदी' के प्रथम खंड में नक्षत्रों पर सम्पूर्ण एवं प्रामाणिक विवेचन उपलब्ध है।
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