________________
मंगल की दृष्टि भी ऐसे ही फल देती है । जातक उद्योग-व्यापार में सफलता प्राप्त करता है।
बुध की दृष्टि भी शुभ फल देती है। जातक धनी, चल-अचल संपत्ति से युक्त होता है।
गुरु की दृष्टि विशाल परिवार एवं एकाधिक विवाह की सूचना देती है।
शनि की दृष्टि भी शुभ फल देती है। जातक परम सौभाग्ययुक्त, सुखी एवं समृद्ध होता है ।
मूल नक्षत्र स्थित शनि के फल
मूल नक्षत्र में शनि की स्थिति के शुभ फल मिलते हैं । जातक सुखी, यशस्वी, उदार एवं प्रमुख पदों पर जिम्मेदारी निबाहता है।
प्रथम चरणः यहाँ शनि जातक को उदार वृत्ति का बनाता है। उसे परिवार में पत्नी से, बच्चों से पूर्ण सुख एवं प्रतिष्ठा मिलती है ।
द्वितीय चरणः जातक विभिन्न विषयों का प्रसिद्ध विद्वान होता हे। तृतीय चरण: यहाँ शनि जातक को प्रायः प्रतिरक्षा सेवाओं में ले जाता है । यदि ऐसे शनि पर मंगल की दृष्टि हो और जातक सेना में हो तो परिवार एवं देश का गौरव बढ़ाता है ।
चतुर्थ चरणः जातक ग्राम, नगर या किसी शैक्षणिक संस्थान में उच्च पद की जिम्मेदारी सफलतापूर्वक निभाता है।
मूल नक्षत्र स्थित शनि पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि जातक को समृद्धि से पूर्ण यशस्वी बनाती है । चंद्र की दृष्टि हो तो पारिवारिक जीवन सुखी बीतता है तथापि माता के लिए यह स्थिति हानिप्रद कही गयी है ।
मंगल की दृष्टि के अशुभ फल होते हैं। जातक की कुटिल वृत्ति उसे नफरत का शिकार बना देती हैं।
बुध की दृष्टि जातक को मंत्री तुल्य प्रसिद्ध बनाती है ।
गुरु की दृष्टि शोध एवं शिक्षा के क्षेत्र में जातक की रुचि बढ़ाती है।
शुक्र की दृष्टि हो तो जातक अनेक जिम्मेदारियां उठाता है । यह भी कहा गया है कि माता के अलावा कोई अन्य स्त्री भी उसके लालन-पालन में योग देती है I
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड- 1) नक्षत्र - विचार ■ 194
Jain Education International
For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org