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हैं। दूसरे, दोस्तों के साथ उनका ‘दरियादिली' का व्यवहार कभी-कभी उन्हें आर्थिक संकट में भी डाल देता है। आय से अधिक व्यय उनके स्वभाव की विशेषता होती है। अतः ऐसे जातकों को इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की सलाह भी दी जाती है।
ऐसे जातकों की प्रतिभा एवं भाग्य अक्सर जन्म-स्थल से दूर विदेश-भूमि पर ही चमकता है। यदि ऐसे जातक विदेश जाने का सफल उपक्रम करें तो उन्हें आशातीत लाभ होता है।
ऐसे जातक अपना जीवन स्वयं गढ़ते हैं। परिवार से समर्थन और सहारा तो मिलता है, पर विशेष नहीं।
ऐसे जातकों का पारिवारिक जीवन भी सुखी होता है। पत्नी अच्छी मिलती है।
ऐसे जातकों को अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष ध्यान रखना चाहिए साथ ही मादक पदार्थों से बिल्कुल बचना चाहिए। क्योंकि यदि एक बार उन्हें किसी नशे की लत लग गयी तो वे फिर बिल्कुल 'अति' कर देते हैं।
मूल नक्षत्र में जातिकाएं भी शुद्ध हृदय, उदार होती हैं, तथापि घोर हठी स्वभाव उनका एक दुर्गुण ही होता है। उसके कारण उन्हें अकारण ही विवादों और तरह-तरह की समस्याओं में उलझना पड़ता है।
ऐसी जातिकाओं का वैवाहिक जीवन बहुत सुखी नहीं होता। किसी न किसी कारण पति से अलगाव की स्थिति पैदा होने की आशंका बनी ही रहती है। विवाह में विलंब के संकेत मिलते हैं।
ऐसी जातिकाएं वातरोग की जल्दी शिकार हो सकती है।
मूल नक्षत्र में सूर्य के फल
मूल नक्षत्र के विभिन्न चरणों में सूर्य मिले-जुले फल देता है। अन्य शुभ ग्रहों से युति या उनकी दृष्टि ही कुछ शुभ फल प्रदान कर सकती है।
प्रथम चरणः यहाँ यदि सूर्य के साथ बुध हो तो जातक को विद्वान एवं परोपकारी पिता का पुत्र होने का गौरव मिलता है।
द्वितीय चरणः जातक का जीवन सामान्य बीतता है। शुक्र के साथ युति जातक को वस्त्र-व्यवसाय के क्षेत्र में सफल बना सकती है।
तृतीय चरणः यहाँ सूर्य जातक को कल्पनाशील और विनोदी वृत्ति का बनाता है।
चतुर्थ चरण: यहाँ सूर्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यहाँ शुक्र एवं मंगल से युति उसके चिकित्सा क्षेत्र में जाने की संभावना प्रबल करती है।
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 189
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