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ज्येष्ठा स्थित सूर्य पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
मंगल की दृष्टि जातक को क्रूर हृदय बनाती है ।
बुध की दृष्टि हो तो जातक का व्यक्तित्व सुंदर होता है। जीवन सुखी होता है। चालीस वर्ष की आयु के बाद अर्थाभाव की स्थिति आ सकती है। गुरु की दृष्टि जातक को परोपकारी वृत्ति का बनाती है । वह राजनीतिक एवं प्रशासनिक क्षेत्र में उच्च पद प्राप्त कर सकता है।
शुक्र की दृष्टि हो तो जातक शासन में उच्च पद पाता है।
शनि की दृष्टि हो तो भी जातक शासन में उच्च पद पाता है। लेकिन पिता के प्रति उसके मन में आदर भाव नहीं रहता ।
ज्येष्ठा नक्षत्र स्थित चंद्र के फल
ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्म के समय चंद्र हो तो इसी नक्षत्र को जातक का नक्षत्र माना जाता है। देवज्ञ वैद्यनाथ ने अपने 'जातक परिजात' में इस नक्षत्र में जन्मे जातकों की जो विशेषताएं बतलायी हैं, उनका उल्लेख हमने प्रारंभ में किया है। अब यहाँ ज्येष्ठा नक्षत्र स्थित चंद्र के फल विस्तार से: प्रथम चरण: इस चरण में जन्म हो तो जातक के जन्म के एक वर्ष की अवधि तक स्वास्थ्य चिंताजनक रहता है ।
द्वितीय चरण: इस चरण में जन्म हो तो जातक क्रोधी स्वभाव का और काम भावना से सदा पीड़ित रहता है।
तृतीय चरण: इस चरण में चंद्र के कारण जातक की अपनी अभिभावकों से नहीं बनती। यदि चंद्र के साथ शनि की युति हो तो जातक विज्ञान एवं शास्त्रों में पारंगत होता है।
चतुर्थ चरण: इस चरण में चंद्र हो तो जातक में विज्ञान के प्रति रुझान होता है। जातक चिकित्सा के क्षेत्र में जा सकता है ।
ज्येष्ठा स्थित चंद्र पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि जातक को सत्ता के निकट रखती है। यों वह क्रूर हृदय होता है तथापि सहायता की याचना करने वालों को वह निराश नहीं
करता ।
मंगल की दृष्टि पराधीन जीवन बिताने की आशंका दर्शाती है । बुध की दृष्टि हो तो जातक सभी सुविधाओं से युक्त और यशस्वी होता है ।
गुरु की दृष्टि भी शुभ फल देती है। जातक विद्वान होता है।
ज्योतिष- कौमुदी : (खंड- 1) नक्षत्र विचार 182
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