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अनुराधा स्थित शनि पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि हो तो जातक का जीवन अभावपूर्ण रहता है। उसके अपने पिता से अच्छे संबंध नहीं रहते। ' चंद्र की दृष्टि के शुभ फल मिलते हैं। जातक राजनीति के क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। वह किसी औद्योगिक उपक्रम का प्रमुख भी बन सकता है।
मंगल की दृष्टि जातक को कलह प्रिय बना देती है।
बुध की दृष्टि हो तो जातक अनेक विषयों का ज्ञाता होता है अर्थात् शिक्षा एवं ज्ञान लाभ की दृष्टि से शनि पर कुछ की दृष्टि शुभ होती है।
गुरु की दृष्टि हो तो जातक सभी प्रकार के सुख प्राप्त करता है। शुक्र की दृष्टि के सामान्य फल मिलते हैं।
अनुराधा नक्षत्र के विभिन्न चरणों में राह - प्रथम चरणः यहाँ राहु के कारण जातक को अपनी शिक्षा व हैसियत से निम्न कार्य करना पड़ता है। परिवार में भी समस्याएं उत्पन्न होती रहती है।
द्वितीय चरणः यहाँ राहु जातक में स्वार्थ की भावना बढ़ाता है।
तृतीय चरणः यहाँ राहु कुछ अच्छे फल देता है। जातक का जीवन सुखपूर्वक गुजर जाता है।
चतुर्थ चरणः यहाँ राहु कोई विशेष फल नहीं देता।
अनुराधा नक्षत्र के विभिन्न चरणों में केतु
प्रथम चरणः यहाँ केतु जातक को धार्मिक वृत्ति का बनाता है।
द्वितीय चरणः यहाँ जातक मुकद्दमे बाजी में फंसा रहता है। शत्रु उसके लिए कोई न कोई परेशानी पैदा ही करते रहते हैं। वह स्वयं भी सच्चरित्र नहीं होता। निम्न कोटि की स्त्रियों के संबंध रखने में उसे आनंद मिलता है।
तृतीय चरणः यहाँ केतु हो तो जातक तीस वर्ष की अवस्था के बाद जीवन में सुख चैन पाता है। यदि केतु के साथ शनि हो तो जातक में इंजीनियर बन सकने की प्रतिभा होती है।
चतुर्थ चरणः यहाँ केतु हो तो जातक को विदेश में प्रवास करना पड़ सकता है। पैतृक संपत्ति के भी बिक जाने का फल कहा गया है।
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार ।। 178
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