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________________ अनुराधा नक्षत्र में गुरु के फल अनुराधा नक्षत्र में गुरु की स्थिति सामान्यतः शुभ फल ही देती है । जातक सुखी, साहसी अधिकार संपन्न होता है । प्रथम चरण: यहाँ गुरु के सामान्य फल मिलते हैं। यदि लग्नस्थ अनुराधा नक्षत्र के उस चरण में सूर्य भी हो तो यह जातक की आयु की दृष्टि से अशुभ योग माना गया है। द्वितीय चरणः जातक संपन्न होता है। सेना अथवा पुलिस सेवा में जाने पर वह उच्च पद प्राप्त कर सकता है । तृतीय चरण: यहाँ गुरु के द्वितीय चरण जैसे फल मिलते हैं। चतुर्थ चरणः यहाँ गुरु जातक को साहसी बनाता है । अनुराधा स्थिति गुरु पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि सूर्य की दृष्टि से जातक धनी, स्वस्थ एवं सुखी जीवन वाला होता है । चंद्र की दृष्टि उसे जन्म से ही वैभव संपन्न बनाती है । मंगल की दृष्टि के फलस्वरूप जातक विद्वान एवं साहसी होता है । बुध की दृष्टि हो तो जातक संपन्न और सद्गुणों से युक्त होता है । शुक्र की दृष्टि जातक को धीर-गंभीर, आकर्षक व्यक्तित्व वाला बनाती है । उसे सुंदर स्त्रियों का साथ मिलता है । शनि की दृष्टि हो तो जातक अनेक विषयों का ज्ञाता तथा विद्वान होता है। वैवाहिक जीवन के लिए शनि की दृष्टि अशुभ सिद्ध होती है। जातक सुखी नहीं रह पाता । अनुराधा स्थित शुक्र के फल अनुराधा नक्षत्र में शुक्र की स्थिति जातक में काम भावना बढ़ाने वाली मानी गयी है। आर्थिक दृष्टि से भी यह कोई शुभ स्थिति नहीं है । प्रथम चरणः यहाँ शुक्र की स्थिति के कारण जातक पर सदैव ही काम ज्वर चढ़ा रहता है। ऐसी स्थिति में वह ऊंच-नीच का भी ख्याल नहीं करता । विवाह उसके लिए मात्र सैक्स-क्रीड़ा ही होती है 1 द्वितीय चरण: यहाँ भी उपरोक्त स्थिति ही बनती है। जातक कामातिरेक के कारण गुप्त रोगों का भी शिकार हो सकता है। तृतीय चरण: यहाँ शुक्र के कारण जातक का जीवन मध्यम गति से चलता है। जातिकाओं के लिए गर्भाशय के रोगों से ग्रस्त होने की आशंका भी बतलायी जाती हैं। ज्योतिष - कौमुदी : (खंड- 1 ) नक्षत्र - विचार ■ 176 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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