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________________ अनुराधा अनुराधा की राशिपथ में 213.20 अंश से 226.40 अंश तक स्थिति मानी गयी है। अनुराधा का अन्य नाम मैत्रम् भी है। अरब मंजिल में उसे अल-उकलील अर्थात् ताज नाम दिया गया है। अनुराधा का एक अर्थ सफलता भी बताया गया है। अनुराधा की एक व्याख्या इस तरह भी की गयी है-अनु अर्थात् लघु एवं राधा अर्थात् पूजा-उपासना। एक ऐसी लघु वस्तु या पदार्थ जिसको पूजा में उपयोग किया जाता है। अनु का एक अर्थ अनुसरण भी है। राधा को विशाखा का पर्याय माना गया है। अनुराधा नक्षत्र विशाखा नक्षत्र के बाद आता है। इसीलिए विशाखा का अनुसरण करने वाला नक्षत्र-अनुराधा । वैदिक साहित्य में इस नक्षत्र को प्रजापति का चरण कहा गया है। अनुराधा नक्षत्र की रचना तीन तारों को मिलाकर की गयी है। अनुराधा का देवता मित्र माना गया है, बारह आदित्यों में से एक। गणः देव, योनिः मृग एवं नाड़ी: मध्य है। इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि है। अनुराधा के प्रथम चरण के स्वामी सूर्य द्वितीया चरण के बुध, तृतीय चरण के शुक्र व चतुर्थ पद के स्वामी मंगल है। चरणाक्षर हैं: न, नी, नू, ने। अनुराधा नक्षत्र में जन्मे जातक 'जातक पारिजात' के अनुसार अनुराधा नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति अत्यंत मिठास भरी वाणी से युक्त, सुखी, पूज्य, यशस्वी तथा उच्च पदस्थ होता है। श्लोक है मैत्र सुप्रियवाक् धनी सुखरत् पूज्ये यशस्वी विभुः। ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 170 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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