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स्वाति
स्वाति नक्षत्र राशि पथ में 186.40 से 200.00 अंशों के मध्य स्थित है। पर्यायवाची नाम हैं-मरुत, वात, समीरण, वायु । अरबी में इसे 'अल गफर' कहते हैं। चित्रा की तरह स्वाति नक्षत्र में भी केवल एक तारे की स्थिति मानी गयी है। यह नक्षत्र तुला राशि (स्वामी : शुक्र) के अंतर्गत आता है। देवता पवन एवं नक्षत्र स्वामी राहु है।
गण: देव, योनिः महिष एवं नाड़ी: अंत्य है। चरणाक्षर हैं-रु, रे, रो, ता।
स्वाति नक्षत्र में जन्मे जातक मांसल देह एवं आकर्षक व्यक्तित्व वाले होते हैं, विशेषकर स्त्रियों के आकर्षण के पात्र । स्वाति नक्षत्र में जन्मे जातक शांतिप्रिय, स्वतंत्र विचारों के और जिद्दी होते हैं। वे अपने कार्य की आलोचना बिलकुल पसंद नहीं करते। यों वे शंततिप्रिय होते हैं, तथापि एक बार क्रुद्ध हो जाने पर उन्हें संभालना कठिन हो जाता है। अतः उन्हें विवेक से काम करने की आदत डालनी चाहिए। वे अपनी स्वाधीनता पर बिना आंच आये सबकी सहायता के लिए तत्पर होते हैं। वे जरूरतमंदों के सच्चे दोस्त सिद्ध होते हैं लेकिन उनके मन में यदि किसी के प्रति नफरत घर कर जाए तो वह स्थायी हो जाती है। - स्वाति नक्षत्र में जन्मे जातकों का बाल्यकाल समस्याओं से लबालब रहता है। यद्यपि ऐसे जातक बुद्धिमान, कठोर परिश्रमी होते हैं तथापि उन्हें आर्थिक अभाव एक तरह से जकड़े रहता है। तीस से साठ वर्ष का उनका जीवन काल स्वर्णिम कहा जा सकता है।
स्वाति नक्षत्र में जातकों का वैवाहिक जीवन बहुत मधुर नहीं रहता
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 157
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