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उत्तरा फाल्गुनी के विभिन्न चरणों में शनि
उत्तरा फाल्गुनी के विभिन्न चरणों में शनि के विशेष शुभ फल नहीं मिलते।
प्रथम चरण: यहाँ शनि सामान्य फल देता है। द्वितीय चरणः यहाँ भी शनि से सामान्य फल मिलते हैं।
तृतीय चरण: यहाँ शनि जातक को गुह्य विद्याओं की ओर प्रेरित करता है।
चतुर्थ चरण: यहाँ शनि कष्ट कारक होता है।
उत्तरा फाल्गुनी स्थित शनि पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि के फलस्वरूप जातक को पिता से कोई लाभ नहीं मिलता। पिता से उसकी अनबन बनी रहती है। - चंद्र की दृष्टि के फलस्वरूप उसे विधवा बहन का बोझ उठाना पडता है।
मंगल की दृष्टि भाई-बहनों के लिए अशुभ मानी गयी है।
बुध की दृष्टि शुभ फल देती है। जातक विज्ञान की उच्च शिक्षा प्राप्त करता है।
गुरु की दृष्टि उसे शासन से लाभ दिलवाती है। शुक्र की दृष्टि के फलस्वरूप दो पत्नियों का योग बनता है।
उत्तरा फाल्गुनी के विभिन्न चरणों में राहु
उत्तरा फाल्गुनी के द्वितीय चरण में ही राहु कुछ शुभ फल देता है, अन्यथा उसका प्रभाव ही होता है।
प्रथम चरणः यहाँ राहु जातक को दुर्गुणी बनाता है। वह अभावग्रस्त, निष्ठाहीन होता है। चोरी की मनोवृत्ति के फलस्वरूप वह हेय दृष्टि से देखा जाता है।
द्वितीय चरणः यहाँ राहु होने से जातक अतिशय महत्त्वाकांक्षी होता है। वह कार्य दक्ष भी होता है। पर उसका पारिवारिक जीवन सुखी नहीं होता।
तृतीय चरण: यहाँ राहु जातक को विलासी बनाता है। कामाधिक्य के कारण उसे गुप्त रोग होते हैं। उसके धन का नाश भी होता है।
चतुर्थ चरणः यहाँ राहु जातक को दरिद्र बनाता है। व्यक्ति ईमानदारी भी खो बैठता है। ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार । 142
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