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________________ विनम्र, कलाविद, धार्मिक तथा परोपकारी वृत्ति की होती हैं। लेकिन प्रदर्शनप्रियता का आधिक्य एक दोष बन जाता है। वे अच्छी शिक्षा भी अर्जित कर सकती हैं, विशेषकर वैज्ञानिक विषयों में। उनका पारिवारिक जीवन भी सुखी रहता है। अच्छा पति, अच्छे बच्चे। वे एक कर्तव्य पारायण गृहिणी सिद्ध होती है, परिवार के लिए सब कुछ होम देने को तत्पर। उनमें अपनी सहायता करने वालों के प्रति सदैव कृतज्ञता का भाव होता है। ऐसी जातिकाओं के लिए एक सलाह दी गयी है कि वे स्वयं को सबसे चतुर, बुद्धिमान तथा औरों को मूर्ख न समझें। अन्यथा इस तरह की प्रवृत्ति होने पर समूचा पारिवारिक तथा निजी जीवन भी कलहमय कर सकती है। पूर्वा फाल्गुनी के विभिन्न चरणों में सूर्य पूर्वा फाल्गुनी के विभिन्न चरणों में सूर्य की स्थिति स्वास्थ्य की दृष्टि से अशुभ मानी गयी है। प्रथम चरण: यहाँ सूर्य जातक को नौकरी-पेशे से जोड़ता है। चिकित्सा क्षेत्र में भी उसे सफलता मिलती है। द्वितीय चरणः यहाँ सूर्य पत्नी एवं संतान के लिए अशुभ माना गया है। तृतीय चरणः यहाँ सूर्य प्रथम चरण जैसे फल देता है। यथा सरकारी नौकरी या चिकित्सा क्षेत्र में नौकरी ही उसकी नियति होती है। जातक हृदय रोग का भी शिकार हो सकता है। बचपन एवं युवावस्था संघर्षमय बीतती है और पैंतीस वर्ष के बाद ही जीवन में स्थिरता आती है। चतुर्थ चरणः यहाँ भी सूर्य चिकित्सा क्षेत्र में नौकरी के योग बनाता है। केतु के साथ सूर्य की युति जातक को इंजीनियरिंग के क्षेत्र में सफल बनाती है। पूर्वा फाल्गुनी स्थित सूर्य पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि चंद्र की दृष्टि जातक को धन हीन, यायावर और दुखी बनाती है। जातक अपने शत्रुओं से ही नहीं, संबंधियों से भी भयभीत रहता है। मंगल की दृष्टि के फलस्वरूप शिर-शूल की शिकायत रहती है, फलत: जातक आलसी हो जाता है। वह शत्रु से भी पीड़ित रहता है। बुध की दृष्टि का फल शुभ होता है। जातक का पारिवारिक जीवन सुखी होता है। संतानें उसकी प्रतिष्ठा में वृद्धि करती हैं। गुरु की दृष्टि स्वतंत्र विचारों वाला बनाती है। मंत्र-तंत्र में जातक की ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 131 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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