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पुष्य स्थित बुध पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि जातक को दंत चिकित्सक बना सकती है।
चंद्र की दृष्टि शुभ फल नहीं देती। आय से व्यय अधिक होता है, फलतः अभाव की स्थिति बनी रहती है। ___ मंगल की दृष्टि शिक्षा के मार्ग में बाधक बनती है।
गुरु की दृष्टि उसे विद्वान और विज्ञान एवं अन्य विषयों में पारंगत बनाती हैं वह सत्तासीन लोगों का विश्वास पात्र भी बनाती है।
शुक्र की दृष्टि शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति दिलाती है। भौतिकी में उसकी विशेष रुचि होती है। उसका व्यक्तित्व भी आकर्षक होता है।
शनि की दृष्टि उसे गुण-हीन और विवाद-प्रिय बनाती है।
पुष्य के विभिन्न चरणों में गुरु की स्थिति
पुष्य के विभिन्न चरणों में स्थित गुरु शुभ फल प्रदान करता है।
प्रथम चरण: यहाँ गुरु जातक को विद्वान, शास्त्र पारंगत और धनी बनाता है। जीवन में उसे सभी तरह के सुख प्राप्त होते हैं।
द्वितीय चरणः यहाँ भी गुरु जातक को सौभाग्यशाली बनाता है। उसे जीवन में परिवार का, संपत्ति का, मित्रों का सभी का सुख मिलता है। अपनी बुद्धिमत्ता से वह ऊंचा पद भी प्राप्त करता है।
तृतीय चरण: यहाँ गुरु व्यक्ति को विश्वास पात्र बनाता है। वह बुद्धिमान भी होता है तथा ऊंचे पद पर भी कार्य करता है। ऐसा व्यक्ति इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी सफल होता है।
चतुर्थ चरणः यहाँ गुरु इंजीनियरिंग की शिक्षा उपलब्ध करता है। जातक का इंजीनियरिंग कौशल उसे मान-सम्मान दिलाता है।
पुष्य स्थित गुरु पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
गुरु पर सूर्य की दृष्टि जातक को उद्भट विद्वान बनाती है। वह विभाग प्रमुख भी होता है।
___ चंद्र की दृष्टि भी उसे अतिशय धनी बनाती है। उसे अच्छी पत्नी मिलती है। बच्चों का भी पूरा सुख मिलता है।
मंगल की दृष्टि भी जातक को धनी बनाती है। इस दृष्टि के फलस्वरूप जातक का विवाह अपेक्षाकृत जल्दी होता है।
बुध की दृष्टि राजनीति के क्षेत्र में सफल बनाती है। जातक परिवार के प्रति सारे दायित्व बखूबी निभाता है।
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 111
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